कॉलेजियम विवाद के बीच कानून मंत्री किरेन रिजिजू का बयान
'जजों की नहीं होती सावर्जनिक तौर पर जांच... फैसले का लोग करते हैं आकलन ; किरेन रिजिजू
6AM : Published by, Ravindra yadav Lucknow, 24, Jan , 2023 : Tue, 02:17 AM, IST
सोशल मीडिया के दौर में कुछ भी छिपा नहीं,कॉलेजियम विवाद के बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने बड़ा बयान दिया है, रिजिजू ने कहा- एक बार जब जज बन जाते हैं तो उन्हें चुनाव का सामना नहीं करना पड़ता है. ना ही जजों की कोई सार्वजनिक जांच होती है,
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि मैंने कॉलेजियम के साथ किसी सरकारी हस्तक्षेप के इरादे से कोई पत्र नहीं लिखा है. एक भी कदम ऐसा नहीं उठाया है, जिससे ज्यूडिशरी को नुकसान हो. उन्होंने साफ किया कि सरकार और न्यायपालिका के बीच कोई टकराव नहीं है.
किरेन रिजिजू ने कहा कि 1947 से कई बदलाव लाए गए हैं. परिवर्तन गतिशील हैं. किसी को यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि जो व्यवस्था है वह कभी नहीं बदलेगी. इसीलिए संविधान में ही 100 से ज्यादा संशोधन हो चुके हैं. उन्होंने आगे यहां तक कहा कि सुप्रीम कोर्ट में भी कुछ फैसले दिए जाते हैं और फिर एक बड़ी बेंच व्याख्या को एक नया अर्थ देती है.
रिजिजू आगे बोले- मैं विपक्ष का सांसद भी रहा हूं. जब मैं विपक्ष का सांसद था तब सोशल मीडिया नहीं था. टीवी और अखबार में बहुत कम लोग आते थे. आम आदमी के लिए कोई प्रतिनिधित्व नहीं था. आम आदमी के लिए कोई मंच नहीं था. पब्लिक को सवाल करने का मौका नहीं मिलता था. आज हर किसी को सरकार पर सवाल उठाने का अधिकार है. हम सवालों से भागते नहीं हैं. हम उनका सामना करते हैं.
'लोग जजों को नहीं चुनते हैं, इसलिए बदल नहीं सकते'
किरेन रिजिजू ने कहा- हमने सीजेआई, हाईकोर्ट के जजों के साथ कई बैठकें की हैं. हम मंत्री हैं, हमें चुनाव में खड़ा होना पड़ेगा, लेकिन जजों के साथ ऐसी कोई बात नहीं है. जज चुनाव में खड़े नहीं होते हैं. एक बार जज बनने के बाद कोई सार्वजनिक जांच नहीं होती है. लोग जजों को नहीं चुनते हैं, इसलिए वे जजों को नहीं बदल सकते हैं. लेकिन जनता देख रही है- आप कैसे काम करते हो, क्या करते हो. लोग इसे देख रहे हैं और अपनी राय बना रहे हैं. सोशल मीडिया के जमाने में कुछ छिपाया नहीं जा सकता है.
'जज भी अब सावधान हो जाएं'
कानून मंत्री का कहना था कि CJI ने मुझसे कहा कि सोशल मीडिया पर कुछ प्रतिबंध होने चाहिए. CJI ने सरकार से सोशल मीडिया पर जजों पर टिप्पणी करने वाले लोगों के खिलाफ कुछ सख्त कदम उठाने को कहा. मैंने उनका सुझाव लिया है और हम इस पर विचार कर रहे हैं. न्यायालय की अवमानना का भी विकल्प है, लेकिन जब लोग 'बड़े पैमाने पर' आलोचना कर रहे हैं तो हम क्या कर सकते हैं ? जज भी अब सावधान हो गए हैं. अगर किसी फैसले पर बड़ी प्रतिक्रिया होती है तो जज पर भी असर पड़ेगा. इसका सीधा असर होता है.
लोकतंत्र की मजबूती के लिए न्यायपालिका का स्वतंत्र होना जरूरी है।
कहा कि लोकतंत्र को मजबूत होना है तो एक स्वतंत्र न्यायपालिका जरूरी है. हमारी प्राथमिकता है कि भारत में अगर लोकतंत्र को मजबूती से आगे बढ़ना है तो मजबूत और स्वतंत्र न्यायपालिका जरूरी है. अगर इसे कमजोर किया जाता है और न्यायपालिका का सम्मान कम किया जाता है तो लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता.
'सरकार के रूप में हमें अपना कर्त्तव्य निभाना है'
किरेन रिजिजू ने वकीलों के लिए भी बयान दिया. कहा- एक अच्छी न्यायपालिका के गठन में आपकी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है. मजबूत बार एसोसिएशन और बार काउंसिल भारतीय न्यायपालिका को ताकत देंगे. सरकार के रूप में हमें अपना कर्तव्य निभाना है, लेकिन आपके कर्तव्य को कम करके नहीं आंका जा सकता है. कोरोना के बाद कई युवा और नए वकील जीवन के लिए संघर्ष कर रहे थे. कुछ नए वकीलों के लिए मात्र जीवित रहना समस्या बन गया. यह चिंताजनक है. हमने जजों से बात की थी कि कोर्ट का काम नहीं रुकना चाहिए. आपने देखा होगा, कोविड महामारी के चरम पर दुनिया रुक गई थी, लेकिन भारतीय न्यायपालिका चल रही थी और बहुत जीवंत थी.
'न्याय विभाग की वेबसाइट पर सारी जानकारियां मिल जाएंगी'
किरेन रिजिजू ने आगे कहा- सुप्रीम कोर्ट ई-कमेटी और जस्टिस डिपार्टमेंट ने डिजिटलीकरण- वर्चुअल हियरिंग और ब्रॉडबैंड सुविधा पर एक साथ काम किया है. SC से निचली न्यायपालिका तक, हमने जो टेक्नोलॉजी समाधान दिया, उससे भारतीय न्यायपालिका एक ग्लोबल लीडर के रूप में सामने आया. भारतीय न्यायपालिका ने चुनौतियों का सामना किया और अच्छा काम किया है. न्याय विभाग की वेबसाइट पर जाएं. सीजेआई चंद्रचूड़ ने मुझे बताया कि जब भी वह किसी चीज का जिक्र करना चाहते हैं तो वह उस वेबसाइट पर जाते हैं. आपको वहां सारी जानकारी मिल जाएगी, कोई भी वेबसाइट पर जाकर अपनी जरूरत की जानकारी हासिल कर सकता है.
उन्होंने कहा- ऐसा नहीं लगना चाहिए कि आम आदमी और सरकार के बीच कोई तालमेल नहीं है. बोले आम आदमी और न्याय के बीच कोई अंतर नहीं होना चाहिए और अंतर को दूर करने की बुनियादी जिम्मेदारी सरकार और न्यायपालिका की है.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, रिजिजू ने कहा- मैंने CJI को एक पत्र लिखा, जिसके बारे में किसी को नहीं पता था. पता नहीं किसे कहां से पता चला और खबर बना दी कि कानून मंत्री ने CJI को पत्र लिखा कि कॉलेजियम में सरकार का प्रतिनिधि होना चाहिए. इस बात का कोई सर पैर नहीं. मैं कहां से उस प्रणाली में एक और व्यक्ति डाल दूंगा.
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