UP_LDA_LUCKNOW ; विकास प्राधिकरण को कई सौ करोड़ का नुकसान।

   प्राधिकरण को कई सौ करोड़ का पहुंचाया नुकसान।  कंम्यूटर सिस्टम का काम देख रही कंपनी के सीईओ अजीत मित्तल व सर्विस इंजीनियर दीपक मिश्रा व सहयोगियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज।  

Latest News: सब्सक्राइब करें। www.6amnewstimes.com lucknow 12:02:2021 रविन्द्र यादव लखनऊ।


  प्राधिकरण को कई सौ करोड़ का पहुंचाया नुकसान। कंम्यूटर सिस्टम का काम देख रही कंपनी न‍िशाने पर।  

लखनऊ । कायदे-कानून से हुई जांच तो कई बड़े लोगों के नाम सामने आ सकते हैं सामने। मुकदमा दर्ज कराने के बाद संबंधित एजेंसी के सीईओ व सर्विस इंजीनियर को आधार बनाकर असली नुकसान पहुंचाने वाले तक क्राइम ब्रांच पहुंच सकती है।

'तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर कंप्यूटर एक्जीक्यूटिव को चार्जशीट दी गई है। सचिव लविप्रा पवन कुमार गंगवार को जांच अधिकारी बनाया गया है। जल्द ही मामला पूरा साफ हो जाएगा।' -अभिषेक प्रकाश, डीएम व उपाध्यक्ष लविप्रा

लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) ने कम्प्यूटर सिस्टम का देखरेख का कार्य करने वाली डीजी टेक प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ अजीत मित्तल व सर्विस इंजीनियर दीपक मिश्रा व सहयोगियों के खिलाफ कई धाराओं में गोमती नगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। मुकदमे में आरोप लगाया है कि लविप्रा के इस कार्य हेतु अधिकृत अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा एक सुनियोजित योजना के अनुसार आपराधिक षडयंत्र करके कंम्प्यूटर के संचित डिजिटल डाटा में छेड़छाड़ करके परिवर्तन किया गया। यह खेल पचास नहीं 500 संपत्तियों में हो सकता है। एक कॉकस बनाकर यह खेल किया गया और करोड़ों के वारे न्यारे किए गए। क्राइम ब्रांच ने जांच में पाया कि गोपनीय तरीके से डाटा में हेराफेरी व अनाधिकृत बदलाव, संशोधन परिवर्तन, कूट रचना कर काफी मात्रा में आर्थिक लाभ प्राप्त किया गया एवं करोड़ों रुपये की आर्थिक क्षति लविप्रा को पहुंचाई गई। इस पूरे खेल में कई बड़े भी फंस सकते हैं।

  बड़े लोगों के नाम भी सामने आ सकते हैं  

क्राइम ब्रांच की जांच में कई बड़े लोगों के नाम सामने आ सकते हैं। मुकदमा दर्ज कराने के बाद संबंधित एजेंसी के सीईओ व सर्विस इंजीनियर को आधार बनाकर असली नुकसान पहुंचाने वाले तक क्राइम ब्रांच पहुंच सकती है। जालसाजों तक पहुंचने के लिए तीन सदस्यीय टीम जांच कर रही थी। टीम में संयुक्त सचिव ऋतु सुहास, एसीपी विवेक रंजन और तहसीलदार राजेश कुमार शुक्ला थे।

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 खाली भूखंडों को देख होता था पूरा खेल  


दलालों, अधिकारियों व कंप्यूटर सेल का पूरा कॉकस था। पहले संपत्ति की तलाश होती थी और फिर फर्जी बैनामा बनाकर हस्ताक्षरों की स्कैनिंग करके रजिस्ट्री होती थी । इसकी फर्जी रसीदी, आवंटन पत्र जारी होते थे। बकायदा डिस्पैच रजिस्टर में चढ़ता भी था। यही नहीं आवंटी के नाम से लविप्रा परिसर में स्थित यूको बैंक में किस्तें भी कुछ जमा होती थी और बाहर ही रजिस्ट्री हो जाया करती थी। ऐसे एक नहीं सैकड़ों मामले हैं। पचास संपत्तियों में ट्रांसपोर्ट नगर फेस वन व टू, गोमती नगर, अलीगंज, रत्नाकर खंड, रजनी खंड, रूचि खंड, नेहरू इन्क्लेव, कानपुर खंड, सेक्टर जे जानकीपुरम, सीतापुर रोड की संपत्तियां हैं।

  फीड करवाई 50 हजार से पांच लाख तक लेते थे  

भूखंडों की कंप्यूटर सेल में फीड करवाने पर लाखों रुपये दलाल खर्च करते थे। यहां मृतक कर्मचारियों व लालची बाबुओं की आइडी का इस्तेमाल करके भूखंड व संपत्ति फीड कर दी जाती थी। 75 वर्ग मीटर का एक लाख से शुरुआत होती थी और तीन सौ वर्ग मीटर का पांच लाख तक लेते थे।दो बारा बेचने पर खरीददार को इससे विश्वास हो जाता था कि संपत्ति सही है।


एक्जीक्यूटिव सिस्टम एसबी भटनागर को चार्जशीट


एक्जीक्यूटिव सिस्टम एसबी भटनागर की कार्यप्रणाली पर सवाल दैनिक जागरण पहले से उठा रहा था। अब प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए चार्जशीट दी गई है। सचिव लविप्रा पवन कुमार गंगवार स्वयं मामले की जांच करेंगे। पंद्रह दिन में भटनागर को जवाब देना होगा। नवंबर में भटनागर ने पचास संपत्तियों की सूची लविप्रा सचिव को सौंपी थी और आरोप लगाया था कि अलग अलग आइडी का उपयोग करके एक साल में पचास संपत्तियों में हेराफेरी हुई। सचिव ने वर्ष 2018 से वर्ष 2019 के बीच संपत्तियों का ब्योरा मांगा था, इस सूची में 450 संपत्तियों का नामांतरण रोक के बाद भी कर दिया गया था। लविप्रा की अलग अलग योजनाओं में यह खेल हुआ था। बता दे कि एक्जीक्यूटिव सिस्टम एसबी भटानगर कम्प्यूटर सेल के मुखिया है, ऐसे में साल भर खेल चलता रहा और मामले से अंजान कैसे हो सकते हैं? कई सवाल उठ रहे थे।


31 मार्च 2021 को हो रहे हैं सेवानिवृत्त


एक्जीक्यूटिव सिस्टम एसबी भटनागर 31 मार्च 2021 में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। सूत्रों की माने तो भटानगर की मुश्किले उस वक्त से बढ़ना शुरू हो गई थी, जब वास्तुखंड की छह संपत्तियों का मामला सामने आया और भटनगार डर गए। उसके बाद भटनागर ने पचास संपत्तियों की सूची स्वयं निकाली औ सचिव लविप्रा को यह कहते हुए सौंप दी कि कर्मचारियों ने ओटीपी बाइपास करके मृतक कर्मचारियों की आइडी का प्रयोग करते हुए करोडों की संपत्ति में खेल किया। अब जांच में अगर दोषी पाए जाते हैं तो जेल भी जा सकते हैं और सेवानिवृत्ति पर मिलने वाले लाभ से वंचित हो सकते हैं।


कई घोटाले में पहले भी चर्चा में रहा लविप्रा


लविप्रा की शायद ही कोई ऐसी आवासीय योजना हो, जहां भ्रष्टाचार न हुआ है। स्व. मुक्तेश्वर नाथ ओझा, काशी नाथ, अजय प्रताप वर्मा सहित आधा दर्जन कर्मचारी प्राधिकरण के दामन में दाग लगाते रहे हैं। वहीं जानकीपुरम, गोमती नगर, ट्रांसपोर्ट नगर, कानपुर रोड, प्रियदशर्नी नगर योजना सहित अलग अलग योजना में खूब खेल हुआ।




 

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