क्या छिपा है एनकाउंटर और सरेंडर बीच ; विकास दुबे और विधायक विजय मिश्रा की गिरफ्तारी मे अहम भूमिका महाकाल मंदिर के एक ही कर्मचारी की। #Vikas_Dubey_Kanpur

 क्या छिपा है एनकाउंटर और सरेंडर का सच उज्जैन पुलिस क्यों नहीं कर रही विकास दुबे को पकड़ने के इनाम पर दावा। 

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             विकास दुबे कांड: क्या छिपा रही है उज्जैन पुलिस

उज्जैन के महाकाल मंदिर में दहशतगर्द विकास दुबे के सरेंडर करने में कुछ तो ऐसा है, जिसे वहां की पुलिस छिपा रही है। विकास को पकड़ने वाली उज्जैन पुलिस ने अभीतक पांच लाख के इनाम पर भी दावा नहीं ठोका है। जांच में कानपुर पुलिस का सहयोग न करने के साथ ही मंदिर के जिस कर्मचारी ने बयान दर्ज कराए, उस पर ही कार्रवाई कर दी गई। यह कार्रवाई एसपी उज्जैन की संस्तुति पर महाकाल मंदिर प्रशासन ने की है।



यह पूरी कवायद एक सफेदपोश को बचाने के प्रयास में की जा रही है। इसी कर्मचारी ने भदोही के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा को गिरफ्तार कराने में अहम जानकारियां दी थीं। विकास दुबे की गिरफ्तारी नौ जुलाई को उज्जैन महाकाल मंदिर से स्थानीय पुलिस ने की थी। यूपी पुलिस व एसटीएफ की टीम विकास को लेकर कानपुर आ रही थी। 10 जुलाई की सुबह सचेंडी में विकास एनकाउंटर में मारा गया था।


 विकास दुबे और विधायक विजय मिश्रा की गिरफ्तारी मे अहम भूमिका महाकाल मंदिर के एक ही कर्मचारी। 


एनकाउंटर की जांच गोविंदनगर इंस्पेक्टर अनुराग मिश्र कर रहे हैं। जांच के सिलसिले में अनुराग मिश्र के नेतृत्व में पुलिस की टीम 24 सितंबर को उज्जैन पहुंची थी। पुलिस ने महाकाल मंदिर के कर्मचारी गोपाल कुशवाहा से पूछताछ की। गोपाल ने बताया कि विकास ने आकर उससे पूछा था कि बैग और चप्पल कहां रखें। इसके बाद बैग में ही चप्पल रखकर उसे पकड़ा गया था। कुछ देर बाद मंदिर के सुरक्षाकर्मियों ने उसे पकड़ लिया था।

पुलिस ने फूल बेचने वाले सुरेश कुमार से भी पूछताछ की। इसके बाद टीम लौट आई। पूछताछ के ठीक अगले दिन पुलिस अधीक्षक अनुभाग महाकाल उज्जैन की तरफ से 25 सितंबर को मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी को पत्र लिखकर गोपाल की भूमिका संदिग्ध बताई गई। इसके बाद मंदिर प्रशासन ने गोपाल को नोटिस जारी कर दिया। जांच अधिकारी इंस्पेक्टर अनुराग मिश्र का कहना है कि गोपाल से पूछताछ की है। उसे बेवजह फंसाया जा रहा है। 

विकास दुबे मामले में उज्जैन पुलिस क्या छिपा रही है

एनकाउंटर की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उज्जैन पुलिस सहयोग नहीं कर रही है। यह वजह है कि उन्होंने अपने स्तर से मंदिर के कर्मचारियों से संपर्क कर पूछताछ की। इसकी जानकारी जब वहां की पुलिस को हुई मंदिर के कर्मचारी को परेशान किया जाने लगा। कुछ तो है जिसे उज्जैन पुलिस छिपाना चाहती है। 


क्या विकास दुबे को सार्वजनिक सरेंडर कराया गया था

विकास दुबे की जब गिरफ्तारी हुई थी तब यह तथ्य सामने आया था कि पूरी योजना बनाकर उसे सार्वजनिक सरेंडर कराया गया। ताकि उसका एनकाउंटर न हो सके। इसके पीछे मध्यप्रदेश के बड़े नेता के नाम की चर्चा थी। उज्जैन पुलिस के सहयोग न करने और कानपुर पुलिस की तफ्तीश में खलल पैदा करने से ये सवाल उठ रहा है कि कहीं इसी राज को दबाने का प्रयास तो नहीं कर रही उज्जैन पुलिस।




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