सोशल मीडिया पर नकेल कसेगी सरकार, सभी यूजर्स की पहचान आएगी सामने।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर कसेगी नकेल:सुशांत डेथ केस में मीडिया ट्रायल पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा- मीडिया का खुद पर से कंट्रोल खत्म हो गया, केंद्र सरकार इस बारे में कुछ सोचे शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के खुद पर से खत्म होते जा रहे कंट्रोल के बारे चिंता जाहिर की।
नई दिल्ली, एजेंसियां। पत्रकार हमेशा समाज को जोड़ने का काम करते हैं। मगर सोशल मीडिया ने जिस तरह से पत्रकारिता के बैरियर तोड़ दिए, उससे अब समाज को आइना दिखाना और मार्ग दर्शन कराने के लिए उत्कृष्ट पत्रकारिता की जरूरत है। इसके लिए पत्रकारों को और संजीदा होना पड़ेगा।
वर्तमान समय में हर तीसरा इंसान सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहा है। ऐसे में आसानी से सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट भी बनाए जाते हैं, जिसके जरिए आसानी से फेक न्यूज फैलाई जाती है। इसको ध्यान में रखते हुए भारत सरकार जल्द ही नया नियम ला सकती है। इस नियम मुताबिक, अगर सरकार फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर और टिक टॉक एप के मालिकों से सभी यूजर्स की पहचान उजागर करने के बारे में जानना चाहे तो इसकी जानकरी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के संस्थापकों को देनी होगी। यानी गुमनाम पहचान को आसानी से नए नियम के अनुसार सामने लाया जा सकता है।
2018 में लाया गया था प्रस्ताव।
सरकार को इस नए के नियम की आवश्कता सोशल मीडिया पर तरह-तरह की फेक न्यूज, आतंकवाद संबंधी सामग्री प्रासरित करने के चलते लाना पड़ा। ऐसे करने से सभी सोशल मीडिया की जवाबदेही तय होगी। भारत की तरफ से साल 2018 में दिसंबर महीने में इन दिशा निर्देश का प्रस्ताव लाया गया था। इसके बाद आम जनता से इस प्रस्ताव पर सुझाव दिया गया था। इसके बाद इंटरनेट एंड मोबाइल ऐसोसिएशन ऑफ इंडिया, फेसबुक ट्रेड ग्रुप और अमेजन की तरफ से प्रस्ताव का विरोध किया गया है। इनकी तरफ से कहा गया है कि यह प्रस्ताव निजता का उल्लघंन होगा। वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इस प्रस्ताव में कुछ मुख्य बदलाव करते हुए अगले साल तक इस नियम को ला सकते हैं।
72 घंटे में गुमनाम पहचान उजागर करने ड्राफ्ट हुआ था तैयार।
बता दें कि इससे पहले एक ड्राफ्ट तैयार किया था, जिसमें गूगल, यूट्यूब, बाइटडांस, टिकटॉक, फेसबुक, इंस्टाग्राम और वाट्सएप को 72 घंटे के भीतर आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले यूजर्स की पहचान उजागर करने को कहा गया था। अब नए नियम के मुताबिक, सभी सोशल मीडिया एप और मैसेजिंग एप को 500 मिलियन यूजर्स के लिए यह नियम लागू करना पड़ सकता है।