पूर्वांचल के समग्र विकास हेतु विभिन्न विभागों की कार्य योजना का प्रस्तुतीकरण संपन्न।


मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में पूर्वांचल के समग्र विकास हेतु विभिन्न विभागों की कार्य योजना का प्रस्तुतीकरण संपन्न

6 AM NEWS TIMES 

दिनांक: 17 सितम्बर, 2020

लखनऊ। प्रदेश के पूर्वांचल के जनपदों के समग्र विकास के सम्बन्ध में विभिन्न विभागों की तरफ से तैयार की गई कार्य योजना का प्रस्तुतिकरण मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में किया गया। बैठक में विभागवार एक्शन प्लान व उसके क्रियान्वयन के रणनीति पर गहन मंथन एवं विचार-विमर्श किया गया।


उक्त बैठक में कृषि, सिंचाई, मत्स्य पालन, उद्योग, पर्यटन आई0टी0, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, व्यावसायिक शिक्षा, बेसिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा एवं परिवहन विभाग द्वारा पूर्वांचल के समग्र विकास हेतु तैयार की गई कार्य योजना पर विभागवार समीक्षा तथा उसके क्रियान्वयन के रोडमैप पर गहन चर्चा की गई।

सौर ऊर्जा से संचालित बोरवेल की स्थापना के सम्बन्ध में बताया गया कि प्रदेश का लक्ष्य करीब 8000 है, जिसमें से 35 प्रतिशत करीब 2500 पूर्वांचल के जनपदों के लिये है। बैठक में यह भी बताया गया कि बलरामपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर जैसे जनपदों में बोरवेल के लिये उपयुक्त स्थानों की मैपिंग कराने का प्रस्ताव है। माइक्रो इरीगेशन के प्रस्ताव में बताया गया कि पूर्वांचल क्षेत्र में जल की कमी के दृष्टिगत सूक्ष्म ड्रिप सिंचाई अत्यधिक उपयोगी है तथा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत ‘पर ड्राप मोर क्राप’ कार्यक्रम में स्प्रिंकलर सिंचाई की स्थापना के कार्य को विस्तार दिया जायेगा।

बैठक में थारू जनजाति की खेती के पारम्परिक तरीकों में सुधार एवं अनुसंधान पर बल दिया गया। मुख्य सचिव ने कृषि अनुसंधान परिषद के माध्यम से थारू जनजाति के पारंपरिक उत्पादों को चिन्हित कर उनकी गुणवत्ता में सुधार, उत्पादकर्ता में वृद्धि हेतु सुझाव, फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने तथा मार्केटिंग की व्यवस्था सुनिश्चित कराने को कहा, जिससे कि उनकी आमदनी बढ़े और जीवन स्तर में सुधार हो।

बैठक में बताया गया कि जनपद बलरामपुर, महराजगंज, श्रावस्ती, बहराइच व सोनभद्र में थारू जनजाति की जनसंख्या अधिक है, जिन्हें इनकी पारंपरिक खेती, बकरी पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्शी पालन, मशरूम उत्पादन, सब्जी उत्पादन आदि को प्रोत्साहन देकर इन्हें बाजार से जोड़कर सीधे लाभ पहुंचाया जा सकता है।

बैठक में आर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने पर बल देते हुये बताया गया कि सरकार को उर्वरक सब्सिडी पर भारी खर्च करना होता है। पूर्वांचल क्षेत्र में जैविक खेती के पायलट प्रोजेक्ट करने के लिये इस धनराशि का उपयोग करके 15 चयनित जिलों में 100-200 एकड़ जमीन पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का प्रस्ताव है। इसके अतिरिक्त फसल विविधीकरण और पूरक आय सृजन को प्रोत्साहन के लिये कान्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की गई। कान्ट्रैक्ट फार्मिंग के अंतर्गत आलू, कटहल, बेल, अमरूद, आम, केला, मिर्च-मसाले एवं अन्य पारंपरिक उत्पादों की खेती को प्रोत्साहित करने व इसके लिये मल्टीनेशनल कंपनियों से दीर्घकालीन अनुबंधों पर समझौता किया जाये। पूरक आय सृजन के लिये मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, बागवानी, ककड़ी प्रसंस्करण, मशरूम, आर्बिड आदि की किसानों के लिये लाभदायक है, जिसके लिये जागरूकता लाई जायेगी।

इसके अलावा गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग द्वारा पूर्वांचल में 14 जनपदों में कृषकों हेतु सिंगल बड चिप विधि से सीडलिंग के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जायेगा। मत्स्य विभाग द्वारा मत्स्य पालन की योजनाओं से मत्स्य पालकों को बड़े पैमाने पर लाभांवित कराया जायेगा।

पशुधन विभाग द्वारा दूसरे आय स्रोत कार्यक्रम हेतु एफ0पी0ओ0 का गठन, पशु बाजारों का सुदृढ़ीकरण, पशुओं के नस्ल सुधार हेतु वर्गीकृत वीर्य से कृत्रिम गर्भाद्यान तथा कामर्शियल लेयर्स इकाइयों की स्थापना आदि के कार्य समयबद्ध रूप से कराये जाने का प्रस्ताव है।

इसके अतिरिक्त पूर्वांचल क्षेत्र में कृषकों द्वारा उगाई जा रही सब्जियों की गुणवत्ता, मात्रा एवं उनका बाजारों में मांग का आकलन करके मण्डी स्थलों में संचालित सुविधाओं का तद्नुसार विकास कराया जायेगा और गैप एनालिसिस करने के उपरान्त छोटे कोल्ड स्टोरेज की सुविधायें कम दरों पर उपलब्ध कराई जायेंगी। इसके अलावा ‘बाजार भाव की खोज’ जैसे एप व सूचना तंत्र के अन्य विकल्पों के माध्यम से बाजार भाव का नियमित आंकलन व प्रदर्शन किया जायेगा।

पूर्वांचल में उद्योगों की स्थापना के सम्बन्ध में बताया गया कि पूर्वांचल क्षेत्र की क्षमता एवं पोटेंशियल के आधार पर आई0टी0, इलेक्ट्रिक वाहन, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि उत्पाद, लाॅजिस्टिक्स, मशीन पार्टस, कृषि मशीनरी, ए0आई0 आदि से सम्बन्धित उद्योगों की स्थापना के लिये उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जायेगा।

पूर्वांचल में पर्यटन विकास की असीम संभावनायें हैं। ‘बुद्ध एप’ को हिन्दी, अंग्रेजी के अलावा मंदारिन, कोरियाई, थाई एवं सिंहली भाषा में तैयार करने का प्रस्ताव है, जिसमें बुद्ध सर्किट के प्रमुख पर्यटक स्थलों से आच्छादित किया जायेगा, जिसमें प्रत्येक स्थल की जानकारी, रूट, परिवहन, हाॅस्पिटल, एम्बैसी, पुलिस, आपातकालीन मदद, लाॅजिंग-बोर्डिंग, खानपान, टुअर पैकेज आदि समस्त विवरण उपलब्ध होंगे। मुख्य सचिव ने ‘एप’ में पूरे पर्यटन सर्किट को जोड़ने तथा तद्नुसार पैकेज तैयार कराकर शामिल करने के साथ-साथ बुद्धा स्टडी सेण्टर, गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी ग्रेटर नोएडा को भी ऐड करने को कहा।

पूर्वांचल में आई0टी0 प्रतिभा की प्रचुरता के दृष्टिगत प्रयागराज में स्टार्ट-अप्स इन्क्यूबेटर का परिचालन कार्य प्रारंभ हो चुका है। वाराणसी एवं गोरखपुर में उक्त के निर्माण की प्रक्रिया/कार्य प्रगति पर है। गोरखपुर स्टार्ट-अप्स इन्क्यूबेटर का निर्माण कार्य माह दिसम्बर, 2020 तक पूरा हो जायेगा। आई0टी0 लाॅजिस्टिक्स के लिये प्रयागराज और देवरिया में डिजिटल प्रोग्राम के अंतर्गत बी0पी0ओ0 इकाई की स्थापना की जा चुकी है। बी0पी0ओ0 प्रमोशन स्कीम के अंतर्गत कुल 09 इकाइयों की स्थापना हो चुकी है, जिनमें देवरिया, वाराणसी, प्रयागराज, लखीमपुर खीरी, अयोध्या, कानपुर, बरेली, उन्नाव आदि सम्मिलित हैं।

इसके अतिरिक्त ई-काॅमर्स कम्पनियां ई-काॅमर्स प्लेटफार्म पर काम करने वाले स्टार्ट-अप्स को एकीकृत कर रही हैं। ओडीओपी के अंतर्गत फ्लिपकार्ट के साथ एम0ओ0यू0 हस्ताक्षरित किया गया है, जिससे कि एम0एस0एम0ई0 क्षेत्र की इकाइयों द्वारा अपने उत्पादों को ई-काॅमर्स प्लेटफार्म का उपयोग करते हुये देश-विदेश पहुंचाया जा सकता है।

चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत पूर्वांचल क्षेत्र में स्थित चार मेडिकल काॅलेजों में मेडिकल इन्फार्मेशन डिपार्टमेण्ट का गठन, टेली परामर्श, बीएसएल-2 लैब की स्थापना आदि संचालित हैं। गाजीपुर, मिर्जापुर, सिद्धार्थनगर एवं प्रतापगढ़ में मेडिकल काॅलेज निर्माणाधीन हैं। गोरखपुर, बस्ती, अयोध्या एवं बहराइच स्थित मेडिकल काॅलेज पूरी तरह क्रियाशील हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के ‘व्यापक समन्वित चिकित्सा सेवा वितरण’ के माॅडल को लागू करने के सम्बन्ध में विचार-विमर्श किया गया तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग के माॅडल को सम्मिलित करते हुये समेकित अभिमत तद्नुसार प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये गये।

बेसिक शिक्षा विभाग में ‘प्रेरणा’ एप पूर्व से संचालित है। अध्यापकों की बायोमेट्रिक साईन-इन तथा साईन-आउट को लागू किये जाने का प्रस्ताव है, जिसके लिये टैबलेट उपलब्ध कराया जायेगा। माध्यमिक विद्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगवाने के निर्देश दिये गये। मुख्य सचिव ने निजी क्षेत्र का सहयोग लेकर तथा टेक्नोलाॅजी का प्रयोग करके इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर बल दिया। उन्होंने स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिये सभी आवश्यक उपाय सुनिश्चित करने को कहा।

उन्होंने कहा कि व्यावसायिक शिक्षा में पाठ्यक्रम इस प्रकार का हो, जो कि पूर्वांचल में आकर्षित किये जा रहे उद्योगों के लिये उपयोगी हों और स्वरोजगार के लिये कौशल प्रदान करे। इस सम्बन्ध में अवगत कराया गया कि कौशल विकास मिशन के अंतर्गत 03 माह की ट्रेनिंग दी जाती है तथा वर्तमान में 33 सेक्टर में कुल 800 कोर्स संचालित हैं।

राजकीय महाविद्यालयों में नामांकित छात्रों के लिये कम्प्यूटर साक्षरता अनिवार्य किये जाने का प्रस्ताव है। कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग, डेटा प्रबंधन, वेब डिजायनिंग आदि के लघु अवधि के पाठ्यक्रम भी संचालित करने का भी प्रस्ताव है।

शहरी परिवहन के अंतर्गत गोरखपुर में 25 इलेक्ट्रिक बसें संचालित करने का प्रस्ताव है। उक्त बसें माह जून, 2021 तक चलनें लगेंगी।

बैठक में अपर मुख्य सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आलोक कुमार, अपर मुख्य सचिव एम0एस0एम0ई0 नवनीत कुमार सहगल, अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी, प्रमुख सचिव नियोजन आमोद कुमार, प्रमुख सचिव दुग्ध विकास भुवनेश कुमार, प्रमुख सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण बाबू लाल मीना एवं अन्य सम्बन्धित अधिकारीगण आदि उपस्थित थे।  


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