आपदा को अवसर बना ऑनलाइन कर्ज देने वाली कंपनियां (फिनेटक) सिर्फ 60 मिनट में कर्ज 360 फीसदी तक होती है वसूली। ?

 60 मिनट में आसान दिखने वाला यह कर्ज आपके लिए बड़ी मुसीबत बने, उससे पहले पढ़ें यह खबर

 आपदा को अवसर बना ऑनलाइन कर्ज देने वाली कंपनियां (फिनेटक) सिर्फ 60 मिनट में कर्ज 360 फीसदी तक होती है वसूली। ?                                                                                         सेव देम इंडिया फाउंडेशन के चेयरमैन प्रवीण सेलवन का कहना है कि एक बार डेटा पर कब्जा हो जाने पर फिनटेक सोशल मीडिया प्रोफाइल भी खंगालते हैं। इसके बाद जब उपभोक्ता कर्ज चुकाने में देरी करता है या चूक करता है तो वह माता-पिता और दोस्तों को कॉल करके बताने के साथ सोशल मीडिया पर भी बदनाम करते हैं।         



आप कितनी भी बेहतर वित्तीय योजना बना लें लेकिन कर्ज लेने की जरूरत कभी न कभी आपको पड़ ही जाती है। बैंक और गैर-वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) कर्ज के लिए काफी पड़ताल के बाद कर्ज देती हैं। इसे अवसर के रूप में देखकर ऑनलाइन कर्ज देने वाली कंपनियां (फिनेटक) आप को सिर्फ 60 मिनट में कर्ज की पेशकश कर 360 फीसदी तक ब्याज वसूल रही हैं। आसान सा दिखने वाला यह कर्ज कई बार आपके लिए मुसीबत बन जाता है।

कर्ज भुगतान में देरी या चूक पर फिनटेक धमकी देती हैं और कुछ मामलों में घर पर बाउंसर भेजने की भी बात करती हैं। इसके अलावा अन्य तरीके जैसे सोशल मीडिया पर आप को बदनाम करना आप को परिवार और समाज में बदनाम करने की भी धमकी देती हैं। इन फिनटेक का शिकार ज्यादातर कॉलेज छात्र या युवा लोग होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन फिनेटक की नजर भारत के 45 करोड़ युवा आबादी पर जो आसानी से स्मार्टफोन का उपयोग करता है।

कर्ज पर तय राशि वसूलती हैं कंपनियां

बैंक या एनबीएफसी आपको कर्ज देती हैं तो उनका ब्याज फीसदी के रूप में तय होता है यानी 10 फीसदी या अन्य तय फीसदी। लेकिन फिनटेक हर कर्ज पर एक तय राशि ब्याज के रूप में लेती हैं जो ज्यादा महंगा होता है। एक कंपनी 15 हजार रुपये कर्ज 15 दिन के लिए देती है और 16वें दिन 15,125 रुपये ब्याज समेत वसूलती है। फीसदी के रूप में देखें तो यह 0.5 फीसदी प्रति दिन और 180 फीसदी सालाना हुआ जो बेहद ऊंचा है।

ईएमआई का विकल्प नहीं। 

इस तरह की कंपनियां बेहद छोटी अवधि के लिए कर्ज देती हैं जो 15 दिन से एक माह के लिए होता है। वेतन मिलते ही ब्याज समेत पूरी राशि वसूल लेती हैं। इसमें ईएमआई का विकल्प नहीं होता है। यह 500 रुपये से एक लाख रुपये तक कर्ज देती हैं।

छात्रा को कॉलेज से निकलवाने की धमकी

छत्तीसगढ़ के रायपुर की रहने वाली छात्रा अमिषा स्वर्णकार ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि फिनटेक से छोटी राशि का कर्ज उनके साथ मां-बाप के लिए मुसीबत बन जाएगा। अमिषा ने महज तीन हजार रुपये का कर्ज बेंगलुरु की कंपनी स्लाइस से लिया था। जब लॉकडाउन शुरू हुआ तो उन्होंने मोरेटोरियम का फायदा देने को कहा। लेकिन मोरेटोरियम खत्म होते ही फिनटेक कंपनी की ओर से अमिषा के माता-पिता और दोस्तों तक को कॉल जाने लगा कि वह कर्ज नहीं चुका रही है। अमिषा का कहना है कि स्लाइस के रिकवरी एजेंटों ने यहां तक कहा कि यदि कर्ज तुरंत नहीं चुकाती है तो प्रिसिंपल को बताकर कॉलेज से भी निकलवा सकते हैं। मिंट के पास स्लाइस के रिकवरी एजेंट के भेजे गए मैसेज का स्क्रिन शॉट भी जिसमें उसने अमिषा को उसकी मां और दोस्त का मोबाइल दिखाकर उन्हें कॉल करने की धमकी दी है।

कोच को बदनाम करने की धौंस

फिनटेक के जाल में फंसने वाली अमिषा इकलौती नहीं हैं। असम के नौगांव के क्रिकेट कोच संदीपन हजारिका को भी एक फिनटेक ने कर्ज भुगतान में चूक पर धमकी देनी शुरू कर दी। संदीपन ने अगस्त के अंत और सितंबर के शुरू में कैशमैप फिनटेक से 9500 रुपये का दो कर्ज लिया था। उनका का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से आमदनी घट जाने की वजह से कर्ज लेने को मजबूर होना पड़ा। हजारिका का कहना है कि कर्ज भुगतान में देरी पर कैशमैप के एजेंट धमकी देने लगे और कहने लगे के जल्द कर्ज भुगतान नहीं किया तो तुम्हारे मोबाइल में जितने भी करीब लोगों के कॉन्टैक्ट हैं उन्हें बता देंगे कि तुम कर्ज नहीं चुका रहे हो। अंत में हजारिका ने पुलिस थाना में एफआईआर दर्ज कराई। मिंट के पास उस एफआईआर की कॉपी है।

सोशल मीडिया पर करते हैं बदनाम। 

फिनटेक जब कर्ज देते हैं तो उनके एप को डाउनलोड करने की शर्त में यह भी जुड़ा होता है कि वह आपके मोबाइल के डेटा की हर तरह से पड़ताल कर सकते हैं। ऑबजर्बर रिसर्च फाउंडेशन के रिसर्च फेलो के.जे. शशिधर का कहना है कि बस यहीं से वह उपभोक्ता के सभी डेटा पर कब्जा कर लेते हैं। इसके जरिये वह माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के नंबर के साथ दोस्तों का नंबर भी आसानी हासिल कर लेते हैं और धमकी देने लगते हैं। सेव देम इंडिया फाउंडेशन के चेयरमैन प्रवीण सेलवन का कहना है कि एक बार डेटा पर कब्जा हो जाने पर फिनटेक सोशल मीडिया प्रोफाइल भी खंगालते हैं। इसके बाद जब उपभोक्ता कर्ज चुकाने में देरी करता है या चूक करता है तो वह माता-पिता और दोस्तों को कॉल करके बताने के साथ सोशल मीडिया पर भी बदनाम करते हैं। जबकि ऐसा करना रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देश के खिलाफ है।

कहां करें शिकायत। 

फिनटेक से धमकी आने पर नजदीकी पुलिस थाना में शिकायत करें। यदि स्पेशल आईटी सेल है तो वहां भी इसकी शिकायत कर सकते हैं। इसके अलावा रिजर्व बैंक को भी इसकी शिकायत कर सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि फिनटेक से आंखमूंदकर कर्ज लेने से परहेज करें। यदि कर्ज लेना बेहद जरूरी हो तो फिनटेक की शर्तों को ध्यान से पढ़कर उसका डिजिटल दस्तावेज अपने पास रखना न भूलें। साथ ही फिनटेक की ओर से आ रहे धमकी भरे कॉल को रिकॉर्ड भी कर लें जो आपकी शिकायत को मजबूती देगा।

संबंधित खबर हिंदुस्तान न्यूज़ से साभार

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