Prayagraj ; पूर्वांचल तक बाढ़ से मुश्किलों में लाखों परिवार।

 प्रयागराज से पूर्वांचल तक बाढ़ से मुश्किलों में लाखों परिवार। “पीने के पानी को तरसते पानी से घिरे लोग”। 

"न खाने को राशन न पीने को पानी”, प्रशासनिक मदद सिर्फ हवाई सर्वेक्षण जैसा जमीनी मदद कागजों तक सीमित, “राहत सामग्री, शेल्टर होम का है हाल बुरा” 

6AM NEWS TIMES, सब्सक्राइब करें। www.6amnewstimes.com 13:08:2021, रविन्द्र यादव लखनऊ 9415461079, 


पूर्वांचल प्रयागराज नदियों में आई बाढ़ की विभीषिका झेल रहे क्षेत्रों में हालात भयावह हैं। बाढ़ के पानी में डूबे घरों में लोग चोरों के भय से रहने को मजबूर हैं, छोटा बघाड़ा के लगभग सैकड़ों घरों में बत्तर हालातों से दो-चार हो रहे हैं क्षेत्रवासी घरों में यही हालात हैं। न बिजली है और न ही पीने को पानी। प्रशासनिक मदद के नाम पर बाढ़ के पानी से घिरे लोगों को काफी परेशानी उठाने के बाद नाव मिली है वो भी हजारों घरों के बीच केवल 5 नावें।


घरों से झांक रही मदद उम्मीदें हो रही निराश। 

 ऐसे में बाढ़ में फंसे लोगों की जिंदगी दांव पर लगी हुई है। शेल्टर होम में भी न पंखा है और न ही मूलभूत सुविधाएं।चारो ओर गंगा ही गंगा नजर आ रही हैं। गंगा की विशाल जलराशि ही दिख रही है। ऐसे में पानी से घिरे लोगों के लिए पानी सबसे कीमती हो चुका है। लोग नाव से मदद को आने जाने वाले लोगों से पानी सबसे पहले मांगते हैं। 

 कई घरों के एक फ्लोर तक पानी में डूबा। 

अनियोजित सस्ती जमीनों के चक्कर में लोगों ने नदियों के क्षेत्र में बना लिया घर। न प्रशासन ने रोका और न ही वे खुद ही मानें। 

छोटा बघाड़ा में बाढ़ पीडि़तों के आधे मकान डूब गए हैं। ऐसे में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। राहत सामग्री के बारे में पूछने पर छोटा बघाड़ा में रहने वाले कहते हैं भाई यह यहां राहत सामग्री डूबते को तिनके का सहारा जैसा है।

पाने से घिरे लोगों के लिए पानी ही सबसे कीमती। 


बाढ़ में घिरे लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। गंगा के बढ़ने जलस्तर से कई मकानों के नीचे का फ्लोर पूरी तरह से डूब चुका है। इसके बावजूद लोग चोरी के डर से अपने घरों के ऊपरी मंजिल पर डटे हुए हैं। न बिजली है और न ही पानी।


पुराने मकानों के धंसने का डर ऊपर से हमेशा सताता रहता है। राम बाबू कहते हैं दिन तो किसी तरह से कट जाता है पर रात नहीं कटती है। हमेशा डर लगा रहता है। बस गंगा मइया का ही भरोसा है।


संगम नगरी में जो लोग बाढ़ में फंसे हैं उनके लिए बाहर निकलने के लिए सिर्फ नावों का ही सहारा है। कई ऐसे लोग भी हैं, जो चोरी से बचने या किसी दूसरी मजबूरी में घर में रह रहे हैं। ऐसे लोग को दूध- दवा और सब्ज़ी जैसे ज़रूरी सामान लेने के लिए नावों से ही आते-जाते हैं। नावें कम होने से लोगों को घंटों इंजतार करना पड़ता है। 



दूध, दवा और सब्जी सबसे बड़ी समस्या, सरकारी मदद नदारद। 

सरकारी मदद या राहत के नाम पर ज़्यादातर लोगों को एक बोतल पानी भी नहीं मिला है। बिजली न आने से लोग मोटर नहीं चला पा रहे हैं जिससे पीने का पानी न मिलना सबसे बड़ी समस्या है।


बाढ़ में फंसे लोग सरकारी कर्मचारियों को देखकर उम्मीद से अपने बारजे पर आ जाते हैं। सभी अपनी अपनी ओर बुलाने लगते हैं। बाल्टियों में रस्सी बांधकर बारजे से लोग लटकाकर सामान ऊपर उठा लेते हैं। बाढ़ में फंसे लोग इस समय छोटी-छोटी चीजों के लिए तरस गए हैं।

तीर्थराज प्रयाग में गंगा और यमुना के उफान से मची तबाही ने वर्ष 2019 का रिकार्ड 85.79 मीटर भी तोड़ दिया है। गंगा और यमुना का जलस्तर बढ़ने का वेग थोड़ा कम हुआ है पर बढ़ना अभी भी जारी है। खतरे के निशान को पांच दिन पहले ही पार कर चुकीं गंगा फाफामऊ में खतरे के निशान से लगभग दो मीटर ऊपर बह रही हैं। गंगा तीन साल पुराने जलस्तर 85.79 मीटर के रिकार्ड को तोड़कर 86.09 मीटर पर बह रही हैं। इसी के साथ यमुना का जलस्तर भी खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर है। यमुना 85.84 मीटर तक पहुंच गई हैं। दोनों नदियों के उफान से जहां पीड़ितों की जिंदगी बेहाल है।

खतरे के निशान से लगभग दो मीटर ऊपर बह रहीं गंगा 

गंगा में लगातार बढ़ते जलस्तर से शात्री ब्रिज का भी आधा हिस्सा डूब गया है।

गंगा सुबह 8 बजे तक

फाफामऊ -86.09 मीटर

छतनाग-85.36 मीटर


यमुना

नैनी -85.84 मीटर

खबरे का निशान-84.73

पिछले 8 घंटे जलस्तर

फाफामऊ (+3cm)

छतनाग (+3cm)

नैनी (+4cm)


( फोटो एवं समाचार के कुछ अंश सोशल मीडिया एवं दैनिक भास्कर से साभार।) 




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