Panchayat_Chunav ; जन्नेश्वर मिश्रा ट्रस्ट के दिशानिर्देशों पर खत्म होती ओबीसी ( यादव ) राजनीति.....।

 जन्नेश्वर मिश्रा ट्रस्ट के दिशानिर्देशों पर नाचते नेतृत्वकर्तो 🚲 की चुप्पी से खत्म होती ओबीसी ( यादव ) राजनीति। 

सब्सक्राइब करें। www.6amnewstimes.com lucknow 12 : 03:2021 रविन्द्र_यादव लखनऊ।


  वाराणसी में पकड़ाया आरक्षण सूची में खेल।  

 UP_Panchayat_Chunav_2021 : जनेश्वर मिश्रा ट्रस्ट के इशारों पर नाचते समाजवादी पार्टी के नेतृत्वकर्ता की चुप्पी से बहुत जल्द खत्म हो जाएगी ग्रामीण क्षेत्र से ओबीसी खासकर यादव का राजनैतिक जीवन। जिस तरीके से ओबीसी क्षेत्रों को विशेष टारगेट करते हुए एसीएसटी क्षेत्र में बदले गए वह काफी चिंताजनक ही नहीं विचारणीय है, कई क्षेत्रों में एससीएसटी की संख्या ना के बराबर होने के बावजूद उन सीटों को एससीएसटी सीट कर दिया गया। परंतु लगता है तथाकथित समाजवादी / सामाजिक न्याय के पैरोकार सिर्फ अपने परिवार की सीट वापस पाने के लिए प्रदेश भर में अन्य ओबीसी सीटों पर चुप्पी साध रखी है। 

 त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जारी आरक्षण सूची में गड़बड़ी की लगभग पुष्टि हो चुकी है। इसमें पटल सहायक को दोषी ठहराते हुए निलंबित भी कर दिया गया है। विभागीय अफसर हामी भर रहे हैं, लेकिन कारण बहुत हद तक बताने से परहेज कर रहे हैं।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से जुड़े लोगों का कहना है कि वर्ष 2005 में दो आरक्षण सूची तैयार हुई थी। एक मई में दूसरी जून में। मई के आरक्षण सूची पर भी कमेटी की मुहर लगी थी। पटल सहायक ने जून की बजाय मई की आरक्षण सूची निकाल ली। आरक्षण निर्धारण के दौरान अधिकारी पकड़ नहीं पाए।

लोगों की ओर से जब आपत्ति आई तो इसकी पड़ताल शुरू हुई। एडीओ से सत्यापन कराया गया। इसके बाद उजागर हुआ। बहरहाल, चर्चा है कि गड़बड़ी ठीक की जाएगी। फाइनल सूची 14 या 15 मार्च को जारी होगी। ग्राम प्रधान की सीट में बामुश्किल दस फीसदी परिवर्तन की बात कही जा रही है। अंतिम सूची फाइनल होने के बाद ही स्पष्ट होगा कि कितनी गड़बड़ी हुई, कितना परिर्वतन हुआ।

पंचायतों में आरक्षण की सूची में गड़बड़ी को लेकर खूब हो-हल्ला मच रहा है। हालांकि सभी का यह मानना है कि आरक्षण को लेकर अनंतिम प्रकाशन हुआ है। इसके प्रकाशन के बाद दावा-आपत्ति दर्ज कराने का मौका दिया जाता है। आपत्ति जायज है तो विचार होना चाहिए। बहुतायत पंचायतों के जनप्रतिनिधियों का कहना है कि फाइनल सूची प्रकाशन में इसे ठीक किया जाना चाहिए। अगर पंचायत विभाग की ओर से इसे नकारा जाएगा तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को हम सब विवश होंगे।


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