SAMAJWADIPARTY - CBI अखिलेश पे CBI का शिकंजा लखनऊ रिवर फ्रंट घोटाले में बड़ी कार्रवाई, CBI ने तत्कालीन चीफ इंजीनियर को किया गिरफ्तार।

 अखिलेश सरकार में हुए लखनऊ रिवर फ्रंट घोटाले में बड़ी कार्रवाई, CBI ने तत्कालीन चीफ इंजीनियर को किया गिरफ्तार। 

6am News Times Lucknow 20: 11: 2020 02:24 PM

सपा सरकार में हुए लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई ने शुक्रवार को सिंचाई विभाग के तत्कालीन चीफ इंजीनियर को गिरफ्तार किया है। दरअसल योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद रिवर फ्रंट घोटाले की जांच का दिया था। इसके बाद मामले की जांच शुरू हो गई। सीबीआई के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लांड्रिंग का मुकदमा दर्ज किया। ईडी ने आठ में से पांच आरोपियों को पूछताछ भी की। 

आपको बता दें कि सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने प्रदेश सरकार के निर्देश पर सिंचाई विभाग की ओर से लखनऊ के गोमतीनगर थाने में दर्ज कराए गए मुकदमे को आधार बनाकर 30 नवंबर 2017 में नया मुकदमा दर्ज किया था। इसमें सिंचाई विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता (अब सेवानिवृत्त) गुलेश चंद, एसएन शर्मा व काजिम अली, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता (अब सेवानिवृत्त) शिव मंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह व रूप सिंह यादव तथा अधिशासी अभियंता सुरेश यादव नामजद हैं। सीबीआई ने अपनी जांच शुरू भी कर दी। उसने सिंचाई विभाग से हासिल पत्रावलियों की जांच करने के अलावा कुछ आरोपियों से पूछताछ भी की।

सीबीआई जांच की संस्तुति करने से पहले प्रदेश सरकार ने अप्रैल 2017 को इस घोटाले की न्यायिक जांच कराई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने जांच में दोषी पाए गए इंजीनियरों व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने की संस्तुति की थी। इसके बाद 19 जून 2017 को सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डॉ. अंबुज द्विवेदी ने गोमतीनगर थाने में धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया थी। बाद में यह जांच सीबीआई को स्थानान्तरित हो गई। सीबीआई अब इस आरोप की जांच कर रही है कि प्रोजेक्ट के तहत निर्धारित कार्य पूर्ण कराए बगैर ही स्वीकृत बजट की 95 प्रतिशत धनराशि कैसे खर्च हो गई? प्रारंभिक जांच के अनुसार प्रोजेक्ट में मनमाने तरीके से खर्च दिखाकर सरकारी धन की बंदरबांट की गई है। यह प्रोजेक्ट लगभग 1513 करोड़ रुपये का था, जिसमें से 1437 करोड़ रुपये काम खर्च हो जाने के बाद भी 60 फीसदी काम भी पूरा नहीं हो पाया। आरोप यह भी है कि जिस कंपनी को इस काम का ठेका दिया गया था, वह पहले से डिफाल्टर थी।

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