फर्जी डिग्री वाले प्रिंसीपल के हाथों में कैसे सुरक्षित हो सकता है हजारों बच्चों का भविष्य।
प्रिंसिपल और विशप के वर्चस्व की जंग में स्कूल की प्रतिष्ठा हो रही है धूमिल।
6AM News Network, Published by : Ravindra yadav , Updated by: Fri, 04, Oct, 2024, 07:21 AM IST
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प्रयागराज के बेहद प्रतिष्ठित स्कूल बॉयज हाईस्कूल इन दिनों विवादों में घिरा हुआ है। 1861 में स्थापित इस स्कूल से सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने अपनी शिक्षा प्राप्त की थी, लेकिन अब यह स्कूल किसी उपलब्धि के लिए नहीं, बल्कि अपने प्रिंसिपल डेविड ल्यूक की फर्जी डिग्री को लेकर सुर्खियों में है।
हालांकि प्रिंसिपल की डिग्री पर सवाल उठाने वाले विशप मोरिस एडगर दान की बात करें, तो उनका भी विवादों से पुराना नाता रहा है।
प्रयागराज स्थित प्रतिष्ठित स्कूल बॉयज हाईस्कूल इन दिनों विवादों में घिरा हुआ है। 1861 में स्थापित इस स्कूल से सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने अपनी शिक्षा प्राप्त की थी, लेकिन अब यह स्कूल किसी उपलब्धि के लिए नहीं, बल्कि अपने प्रिंसिपल डेविड ल्यूक की फर्जी डिग्री को लेकर सुर्खियों में है।
आरोप है कि प्रिंसिपल डेविड ल्यूक की मास्टर्स की डिग्री फर्जी है। इस पर मामले पर बिशप डायोसिस ऑफ लखनऊ के बिशप मोरिस एडगर दान ने सिविल लाइंस थाने में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें डेविड ल्यूक से अब तक मिले वेतन की वसूली की मांग की गई है।
दरअसल, बिशप मोरिस एडगर दान ने पुलिस को दी गई तहरीर में जानकारी दी है कि 16 अप्रैल 2012 को बॉयज हाई स्कूल में प्रधानाचार्य का पद रिक्त हुआ, जिसके बाद डेविड ल्यूक ने इस पद के लिए आवेदन किया। आरोप है कि उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर उन्हें कार्यवाहक प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्ति दी गई। इस बीच डेविड ल्यूक की मार्कशीट फर्जी होने की शिकायत मिली।
डेविड ल्यूक ने छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी से 2007 में अंग्रेजी विषय से व्यक्तिगत परीक्षार्थी के रूप में रोल नंबर 361222 से प्रथम श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण करने की मार्कशीट लगाई थी। सभी प्रमाण पत्रों पर फॉर्म भरते समय सेल्फ अटेस्ट किया था। इसके बाद 22 जुलाई 2024 को छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी कानपुर से मार्कशीट का सत्यापनकरने के लिए पत्र लिखा गया।
वेतन रिकवरी के लिए भी लिखा गया पत्र।
आठ अगस्त को विश्वविद्यालय की ओर से सत्यापन रिपोर्ट प्राप्त हुई जिसमें डेविड ल्यूक की ओर से प्रस्तुत की गई मार्कशीट का रोल नंबर उस सत्र में रजिस्टर्ड नहीं पाया गया यानी उनकी एमए की डिग्री कानपुर यूनिवर्सिटी ने प्रमाणित नहीं की है। इसी मामले में विशप मोरिस एडगर दान ने सिविल लाइंस थाना पुलिस को तहरीर देकर अब तक प्रिंसिपल के रूप में लिए गए करोड़ों रुपए वापस करने की मांग की है।
इसके साथ ही फर्जीवाड़े के लिए आपराधिक मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की भी मांग की है। इस मामले में राष्ट्रीय अभिभावक मोर्चा के संयोजक बीडी अग्रवाल ने भी शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है। इस मामले में आइजीआरएस पोर्टल पर की गई शिकायत के बाद सिविल लाइन थाने के सीनियर सब इंस्पेक्टर चंद्रभान सिंह ने भी मामले जांच की थी।
जांच कर उन्होंने पुलिस कमिश्नर प्रयागराज को अपनी रिपोर्ट भेजी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक डेविड ल्यूक की डिग्री फर्जी और कूटरचित पाई गई है। पुलिस कमिश्नर को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि बॉयज हाई स्कूल के कार्यवाहक प्रिंसिपल बनकर कूटरचित दस्तावेज व फर्जी जालसाजी और कूट रचना द्वारा मार्कशीट बनाकर धोखा देने की बदनियती से भत्ते व वेतन का 3.25 करोड रुपए का भुगतान गबन करने का अपराध प्रमाणित होता है।
प्रिंसिपल और विशप के बीच खिंची तलवारें
विवेचक चंद्रभान सिंह की जांच रिपोर्ट के मुताबिक यह प्रकरण अदालत में विचाराधीन नहीं है। वहीं इस मामले में प्रिंसिपल डेविड ल्यूक का पक्ष जानना चाहा तो स्कूल प्रबंधन ने उनके शहर से बाहर होने की जानकारी दी।
हालांकि दूसरी ओर प्रिंसिपल की डिग्री पर सवाल उठाने वाले विशप मोरिस एडगर दान की बात करें तो उनका भी विवादों से पुराना नाता रहा है।
विशप मोरिस एडगर दान के खिलाफ वित्तीय अनियमितता के भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। फिलहाल इस पूरे मामले में विशप मोरिस एडगर दान और बॉयस हाई स्कूल के प्रिंसिपल डेविड ल्यूक के बीच तलवारें खिंची हुई हैं। प्रिंसिपल और विशप के बीच छिडी वर्चस्व की इस जंग में जहां सैकड़ों साल पुराने प्रतिष्ठित स्कूल की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है। वहीं स्कूल में पढ़ने वाले आठ हजार से ज्यादा बच्चों के भविष्य पर भी खतरा मंडरा रहा है।