RSS Vijayadashmi Utsav: यादव कुल गौरव दुनिया की पहली महिला माउंट एवरेस्ट विजेता सुप्रसिद्ध पर्वतारोही पद्मश्री संतोष यादव जी ने रचा दूसरा इतिहास बनी पहली महिला मुख्‍य अतिथि।

आज वह प्रारब्ध है कि मैं संघ के इस सर्वोच्च मंच पर आप सब से स्नेह पा रही हूं।" संतोष यादव

RSS Vijayadashmi Utsav: 

यादव कुल गौरव दुनिया की पहली महिला माउंट एवरेस्ट विजेता सुप्रसिद्ध पर्वतारोही पद्मश्री संतोष यादव जी ने रचा दूसरा इतिहास बनी पहली महिला मुख्‍य अतिथि।

6AM_NEWS_TIMES : Edited by. Ravindra yadav Lucknow 9415461079, 06,Oct, 2022 : Thu, 11: 35 AM, 


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हाइलाइट्स :

🔸 RSS के वार्षिक विजयादशमी कार्यक्रम में पहली बार महिला मुख्‍य अतिथि बनी सुप्रसिद्ध पर्वतारोही पद्मश्री संतोष यादव जी । 

🔸 हर साल नागपुर में दशहरे के दिन होता है विजयादशमी का कार्यक्रम। 

🔸 सरसंघचालक मोहन भागवत बोले- दुनिया में भारत की प्रतिष्‍ठा बढ़ी। 

🔸 97 वर्षों के इतिहास में यह पहली बार है जब आरएसएस ने किसी महिला को अपने कार्यक्रम में आमंत्रित किया है।

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हर साल विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर कार्यालय में RSS का वार्षिक उत्सव मनाया जाता है. इस कार्यक्रम में किसी विशेष व्यक्ति को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने की प्रथा है, इस साल RSS ने इस कार्यक्रम में पर्वतारोही संतोष यादव जी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है। 

विस्तार से।

RSS स्थापना दिवस पर सुप्रसिद्ध पर्वतारोही पद्मश्री संतोष यादव जी का संबोधन कर बनाया एक और रिकार्ड।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस पर आयोजित दशहरा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पर्वतारोही संतोष यादव शामिल हुईं। उन्होने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सहित अन्य गणमान्यों की उपस्थिति में कार्यक्रम को संबोधित कर एक और नया रिकार्ड बनाया है।

संघ संस्थापक डॉ हेडगेवार को श्रद्धांजलि अर्पित   करते हुए मोहन भागवत और संतोष यादव 

तस्वीर साभार : सोशल मीडिया।

संतोष यादव ने बताया कि मेरी प्रारंभिक शिक्षा गांव से हुई, मेरी शिक्षा का स्तर उतना ऊंचा नहीं था। मेरा दुनियादारी से बहुत अधिक संपर्क नहीं था। अक्सर यह संयोग होता कि लोग मुझसे पूछते कि तुम संघी हो क्या ? लोगों के इस सवाल का जवाब मैं बड़े भोले मन से देती थी कि वो (संघी) क्या होता है? आज किस्मत मुझे सर्वोच्च मंच पर लेकर आई है।

पर्वतारोही संतोष यादव ने कहा कि भारत की भूमि पर जन्मी हमारी सनातन संस्कृति है। संघ के एक-एक प्रचारक पूरी तरह से, पूरे सेवा भाव और विश्व कल्याण के लिए बहुत मेहनत से लगे हुए हैं। संतोष यादव ने कहा स्वयंसेवक सनातन संस्कृति के मूल मंत्र को पकड़े हुए हैं। भारत ही नहीं, पूरे विश्व के मानव समाज को मैं अनुरोध करना चाहती हूं कि वो आये और संघ के कार्यकलापों को देखें। यह शोभनीय है, एवं प्रेरित करने वाला है।



जेएनयू से जुड़े एक किस्से को बताते हुए संतोष यादव ने बताया कि एक बार जेएनयू में वह पर्यावरण के विषय पर बोल रही थीं। उस दौरान एक छात्रा ने सवाल किया कि हमें रामचरितमानस या गीता पढ़ने के लिए क्यों कहा जाता है? मैंने उससे पूछा कि क्या आपने इन पुस्तकों को पढ़ा है ? तो छात्रा ने कहा कि नहीं। इसके बाद मैंने उस छात्रा से कहा कि फिर बिना पढ़े आप इन पुस्तकों को लेकर द्वेष क्यों पाल रही हैं ? आप पहले इसे पढ़िए, सनातन संस्कृति सृजन की प्रेरणा देता है।


दशहरे का दिन संघ के लिए काफी अहम माना जाता है। दशहरे के ही दिन सन 1925 में आरएसएस की स्थापना हुई थी। ऐसे में हर साल इस मौके पर संघ के द्वारा मनाए जाने वाले कार्यक्रम में देश के गणमान्य लोगों को आमंत्रित किया जाता है। साल 1925 के बाद से इस कार्यक्रम में कोई पुरुष ही मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करता आया है, लेकिन पहली बार इसमें किसी महिला को मुख्य अतिथि बनाया गया है। और ये नया रिकार्ड पर्वतारोही संतोष यादव के हिस्से में जाता है।

सुप्रसिद्ध पर्वतारोही पद्मश्री संतोष यादव जी का जीवन परिचय। 

संतोष दुनिया की पहली महिला हैं, जिन्होंने 8848 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट को 2 बार फतह किया है. वर्तमान में संतोष भारत-तिब्बत सीमा पुलिस पर बतौर अधिकारी तैनात हैं। 


संतोष ने साल 1992 और 1993 में माउंट एवरेस्ट फतह किया था. वह हरियाणा की रहने वाली हैं और तमाम समाजिक पाबंदियों के बाद पहले शिक्षा और बाद में यह कीर्तिमान हासिल किया. संतोष की इस खास उपलब्धि पर साल 2000 में उन्हें देश के तत्कालीन राष्ट्रपति ने पद्मश्री से सम्मानित था।


सुप्रसिद्ध पर्वतारोही पद्मश्री संतोष यादव जी का ताल्लुक हरियाणा के रेवाड़ी जिला से है।


वह वहां के एक छोटे से गांव जोनियावास में पली बढ़ी, उनका जन्म भी वहीं हुआ था, संतोष के पिता का नाम सूबेदार रामसिंह यादव और माता का नाम श्रीमती चमेली देवी है, 


संतोष ने साल 1980 में जयपुर के महारानी लक्ष्मीबाई कॉलेज से BA की परीक्षा उत्तीर्ण की, यह वो दौर था जब लड़कियों को पढ़ने लिखने से ज्यादा घर के कामकाज सीखाने पर जोर दिया जाता था।


उस समय गांव में लड़कियों की पढ़ाई पर पाबंदी थी लेकिन अपने हौसलों कुछ अलग करने के जज्बे के कारण संतोष ने ना सिर्फ अपनी पढ़ाई पूरी की बल्कि माउंट एवरेस्ट फतह करने का सपना भी पूरा किया।


बचपन से था पर्वतारोहण का शौक।


संतोष को बचपन से ही पर्वतारोहण का शौक था, उनकी ट्रेनिंग साल 1986 में उत्तर काशी से हुई और उन्होंने साल 1992 में पहली बार माउंट एवरेस्ट को फतह करने में सफलता हासिल की।


इसके बाद उन्होंने दोबारा एक साल बाद साल 1993 में भी माउंट एवरेस्ट को फतह किया. उन्हें साल 2000 में इस महान उपलब्धी के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया. इसके बाद साल 2001 में लिम्का बुक ऑफ रिकार्डस से सम्मानित किया गया. इसके अलावा उन्हें साल 1994 में National Adventure Award से भी सम्मानित किया गया था।


 सुप्रसिद्ध पर्वतारोही पद्मश्री संतोष यादव जी पहली ऐसी महिला हैं, जिन्होंने दो बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की है। उन्होंने पहली बार मई 1992 और दूसरी बार मई 1993 में एवरेस्ट चोटी फतह की और ऐसा कर उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। इसके अलावा संतोष कांगसुंग की तरफ से माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाली दुनिया की पहली महिला भी हैं।


संतोष यादव को असाधारण काम के लिए साल 2000 में भारत सरकार ने चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया था। फिलहाल संतोष यादव भारत-तिब्बत सीमा पुलिस में पुलिस अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं।







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