Dengue Alert:अस्पतालों में कई हजार से ज्यादा है डेंगू मरीज, कागजों अफसर दिखा रहे हैं में महज कुछ मरीज।।


डेंगू मरीजों की संख्या छिपा रहे हैं अफसर:

यूपी के प्राइवेट अस्पतालों में कई हजार से ज्यादा है डेंगू मरीज, कागजों अफसर दिखा रहे हैं में महज कुछ मरीज।। 

6AM_NEWS_TIMES : Edited by. Ravindra yadav Lucknow 9415461079, 08,Oct, 2022 : Sat, 04: 15 AM, 

Dengue Alert:

यूपी के प्राइवेट अस्पतालों में कई हजारों से ज्यादा डेंगू मरीज, अस्पतालों में आने वाले डेंगू मरीजों को बेड खाली न होने पर लौटना पड़ रहा है। जबकि जिलों के मलेरिया अधिकारीयों की रिपोर्ट के मुताबिक अस्पतालों में भर्ती डेंगू मरीजों की संख्या महज कुछ सैकड़ों में है।


सरकारी अस्पतालों में हुई जांच को ही मानते हैं डेंगू का केस।

दरअसल, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उसी मरीज को डेंगू का मरीज मान रहे हैं जिनकी मेडिकल कॉलेज में एलाइजा जांच हुई है। यही कारण है कि यह मलेरिया अधिकारी की फाइलों में डेंगू मरीजों की संख्या बहुत कम है। जबकि निजी पैथालॉजी में कार्ड (रैपिड टेस्ट) के जरिए डेंगू संबंधित जांच की जा रही है, यही कारण है कि रैपिड टेस्ट में पाजिटिव आने वाले मरीजों को विभाग डेंगू का मरीज नहीं मानता है।

लखनऊ सहित यूपी के कई जिलों में डेंगू मरीजों का प्रतिदिन टूट रहे पूराने रिकॉर्ड,


पढ़ें अपने जिले का हाल और जानें कितना खतरनाक है ये मच्छर। 


लखनऊ में डेंगू का डंक अब प्रतिदिन नये-नये रिकॉर्ड बनाने लगा है। इस सीजन में गुरुवार को एक दिन में सर्वाधिक कई दर्जन लोग डेंगू पॉजिटिव पाए गए। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई है। सीएमओ ने इसको लेकर निर्देश जारी करने लगे हैं।सीएमओ ने एक बार फिर डेंगू मरीजों की भर्ती और इलाज की व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं।

बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी विभिन्न इलाकों के 32 मरीजों की एलाइजा जांच के लिए नमूने भेजे गए थे। इनमें 21 में डेंगू की पुष्टि हुई है। आलमबाग, आशियाना, कृष्णानगर समेत आस-पास के इलाकों में करीब 20 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इन मरीजों की जांच लोकबंधु अस्पताल में हुई है। इंदिरानगर में पांच लोगों को डेंगू ने शिकार बनाया है। पुराने लखनऊ में 10 लोग डेंगू की गिरफ्त में आ गए हैं। डालीगंज में भी तीन लोग डेंगू बुखार की चपेट में हैं। गोमतीनगर के एक निजी अस्पताल में तीन डेंगू पीड़ितों को भर्ती किया गया। इन मरीजों में प्लेटलेट्स काउंट सामान्य से काफी कम है। इंदिरानगर के निजी अस्पताल में पांच डेंगू पीड़ित भर्ती हैं। लोकबंधु, बलरामपुर, सिविल अस्पताल में भी 10 से अधिक मरीजों को भर्ती कर इलाज मुहैया कराया जा रहा है।

बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें। 

दो दिनों से हो रही बारिश ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। जगह-जगह जल भराव हो गया है। इससे मच्छरों के पनपने का खतरा बढ़ गया है। डेंगू का सबसे ज्यादा खतरा डालीगंज, फैजुल्लागंज, खदरा और आलमबाग के आस-पास है। यहां खाली प्लॉट में पानी भरा है। डालीगंज में नाले की सफाई करीब दो साल से नहीं हुई है। कचरा नाले के ऊपर पड़ा है। गंदगी से मच्छरों की भरमार है।


आपदाओं को लाभ का अवसर समझ बिना जरूरत डेंगू मरीजों को चढ़ा रहे प्लेटलेट्स।

डेंगू के नाम पर मरीजों में खौफ़ पैदा कर मरीजों की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है। बिना जरूरत मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाई जा रही है। केजीएमयू, बलरामपुर, सिविल समेत दूसरे अस्पतालों में प्लेटलेट्स की मांग बढ़ी है। राजधानी में करीब 250 से ज्यादा लोग डेंगू की चपेट में हैं। 40 से ज्यादा डेंगू अस्पतालों में भर्ती हैं। इनके प्लेटलेट्स सामान्य से कम है।


निजी अस्पताल कमाई के लालच में मरीजों को बिना जरूरत प्लेटलेट्स चढ़ा रहे हैं। 

डॉक्टरों का कहना है कि रक्तस्राव की दशा में प्लेटलेट्स चढ़ानी चाहिए। प्लेटलेट्स काउंट 10 हजार या नीचे आने पर भी डॉक्टर को संजीदा रहने की जरूरत है। ऐसे में प्लेटलेट्स चढ़ाया जाना चाहिए। 20 हजार या अधिक प्लेटलेट्स की दशा में सेहत की निगरानी की जरूरत है। निजी अस्पतालों में काफी मरीज भर्ती हैं। यहां भर्ती मरीज के तीमारदारों से प्लेटलेट्स केजीएमयू, बलरामपुर, सिविल समेत दूसरे अस्पतालों से मंगाया जा रहा है। पूछताछ में तीमारदार मरीज का प्लेटलेट्स काउंट 20 से 30 हजार तक बता रहे हैं। किसी भी तरह की रक्तस्राव की बात भी नहीं बता रहे हैं। इसके बावजूद प्लेटलेट्स मंगा रहे हैं।


केजीएमयू ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन रोज 170 यूनिट प्लेटलेट्स लग रही। 

केजीएमयू ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग अध्यक्ष डॉ. तूलिका चन्द्रा ने बताया कि बीते हफ्ते तक रोज 80 से 100 यूनिट प्लेटलेट्स खप रहा था। अब 120 से 130 यूनिट प्लेटलेट्स की मांग बढ़ गई है। लोहिया, बलरामपुर और सिविल अस्पताल में रोज 30 से 40 यूनिट प्लेटलेट्स खप रहा है।

उत्तर प्रदेश के प्रमुख जिलों में डेंगू का वार।

प्रयागराज : 251 मरीज मिले, मनमाने प्लेटलेट्स चढ़ाने से बढ़ी मांग। 

जिले में 251 डेंगू मरीजों की पहचान हो चुकी है। निजी अस्पतालों में डेंगू के लक्षण वाले दर्जनों मरीज भर्ती हैं। निजी अस्पतालों में 40 से 50 हजार काउंट वालों को भी प्लेटलेट्स चढ़ाने की सूचना है।

गोरखपुर : प्लेटलेट्स की खबर 20% बढ़ी, केस 26 मिले। 

गोरखपुर में इस सीजन में 26 डेंगू मरीज मिले है। अस्पतालों में प्लेटलेट्स की खपत 20% बढ़ गई है। जिले में रोज 110-115 यूनिट प्लेटलेट्स खपत होती थी, जो बढ़कर 135 यूनिट तक रोज हो गई है।


वाराणसी : बीएचयू समेत सभी अस्पतालों में मांग से कम प्लेटलेट्स की उपलब्धता। 

आईएमए बनारस में रोजाना 100-125 यूनिट प्लेटलेट्स की मांग है। मंडलीय अस्पताल में रोज 50-60 यूनिट प्लेटलेट्स की मांग है, जबकि उपलब्धता 20-25 यूनिट है। बीएचयू अस्पताल में रोजाना 50-60 यूनिट प्लेटलेट्स की मांग है, लेकिन उपलब्धता 35-40 यूनिट की ही हो पा रही है।

बरेली : डेंगू के 92 मरीज मिले, चार ने दम तोड़ा। 

डेथ ऑडिट हो रही है। प्लेटलेट्स की मांग करीब 20% बढ़ गई है। कई निजी अस्पतालों में डेंगू बताकर प्लेटलेट्स चढ़ाने, इलाज की शिकायत है। दो अस्पतालों को नोटिस जारी किया गया है।


मेरठ : अब तक 56 मरीज, रोजाना 50 यूनिट प्लेटलेट्स की मांग

मेरठ में अब तक डेंगू के 56 मरीज मिले हैं। जिला और प्राइवेट अस्पताल में रोजाना 50 यूनिट से अधिक प्लेटलेट्स की मांग है। मंडल के बाकी जिलों में भी डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है।

कानपुर : फिलहाल 144 मरीजों का चल रहा इलाज। 

कानपुर के अस्पतालों में लखनऊ के 44, बाकी कानपुर के हैं। बीते हफ्ते तक रोज 65 यूनिट प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ रही थी। बीते दो दिन से 260 यूनिट रोजाना की जरूरत पड़ रही है।

पहले सिर्फ शहरी बीमारी मानी गई फिर पूरे देश में फैल गया डेंगू का प्रकोप ।

जानिए भारत में कैसे फैला डेंगू ?

1, भारत में डेंगू का पहला केस 1956 में तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में मिला था।

2, इसके बाद डेंगू का पहला बड़ा हमला 1963 में बंगाल में हुआ।

3,  1996 में दिल्ली में डेंगू का भयानक हमला हुआ था। इस दौरान यहां से 10,252 डेंगू के मामले सामने आए और 423 मौतें हुईं।

4,  2006 में भी देश ने बड़ा डेंगू का हमला देखा, जब 12,317 केस सामने आए और 184 मौतें हुईं।


कैसे होता है डेंगू और कितना खतरनाक है इसका मच्छर ?

1, डेंगू एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से ही होता है। इस प्रजाति में केवल मादा मच्छर में ही डेंगू वायरस हो सकते हैं।

2, एक डेंगू मच्छर एक बार में करीब 100 अंडे देता है, इसके एक मच्छर की उम्र करीब दो हफ्ते होती है।

3, डेंगू का मच्छर दिन के उजाले में काटता है। खासकर सवेरे, शाम को इसके काटने की संभावना ज्यादा होती है।

4, देखा गया है कि यह मच्छर रात में जलती लाइट में भी काट सकता है।

5, यह मच्छर 15-16 डिग्री से कम तापमान में पैदा नहीं होता।

6, डेंगू के सर्वाधिक मामले जुलाई से अक्तूबर के बीच आते हैं।

7, स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 41% डेंगू मच्छर प्लास्टिक ड्रम, टंकियों में पैदा होते हैं। कूलर में 12%, निर्माण स्थलों पर इस्तेमाल लोहे के कंटेनरों में 17% डेंगू पैदा होते हैं।


डेंगू की बीमारी ऐसे करती है असर । 

1, डेंगू की शुरुआती स्टेज में फ्लू जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

2, इसके लक्षणों में तेज बुखार, चकत्ते, शरीर में तेज दर्द, भूख कम होना, उल्टी आना आदि होता है।

3, डेंगू जब खतरनाक अवस्था में पहुंचता है तो डेंगू हेमरेजिक फीवर (DHF) बन जाता है, जो जानलेवा होता है।

4, डीएचएफ की आगे की अवस्था डेंगू शॉक सिंड्रोम हो सकता है, जो खतरनाक हो सकता है।

5, डीएचएफ में बीपी तेजी से गिरता है, अंदरूनी अंग काम करना बंद कर देते हैं, जिससे रोगी की मौत हो जाती है।






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