Exit Poll ❓दावे गर्म करते हजारों करोड़ों के सट्टा बाजारों को.......... ❓

 [ “एग्जिट पोल ने जिन्हें जिताया जनता ने अक्सर उन को हराया”

पश्चिम बंगाल, बिहार, हरियाणा व महाराष्ट्र सहित अधिकतर राज्यों में गलत साबित हुए एग्जिट पोल के दावे

[ एग्जिट पोल दावे गर्म करते हजारों करोड़ों के सट्टा बाजारों को

6am On way : Edited by लखनऊ रविंद्र यादव 9415461079, 09/Mar/2022 : Wed. 06:13 AM


Exit Poll ❓ अक्सर हमने आपने देखा है कि कई बार एग्जिट पोल के अनुमान 95 % गलत ही साबित होते हैं और कई बार भ्रामक न्यूज़ जैसे साबित होते हैं, चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार सोमवार शाम 6:30 बजे के बाद एग्जिट पोल जारी हो गए हैं। उत्तर प्रदेश सहित सभी पांचों राज्य पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर सहित पांच राज्यों में हुए मतदान के बाद सभी की निगाहें अब 10 मार्च को आने वाले नतीजों पर टिकी हैं।

[ ❓ विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं के मनोबल तोड़ने के लिए क्या एक्जिट पोल का किया जा रहा है इस्तेमाल टीवी हो या न्यूज़पेपर सभी जगह पर माहौल के विपरीत दिख रहे हैं एग्जिट पोल के नतीजे। ❓ ] 

पश्चिम बंगाल एग्जिट पोल के नतीजों की बात की जाए तो बीते कई विधानसभा चुनावों में ये गलत साबित हो गए थे। उदाहरण के तौर पर पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ज्यादातर एग्जिट पोल में बीजेपी को 100 से ज्यादा सीटें मिलने का दावा किया गया था। लेकिन जब रिजल्ट आए तो बीजेपी 77 सीटों पर सिमट गई। वहीं, ममता बनर्जी की टीएमसी ने 211 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई।



बिहार विधानसभा चुनाव में भी एग्जिट पोल पूरी तरह गलत साबित हो गए थे। यहां ज्यादातर न्यूज चैनल और एजेंसियों ने अपने एग्जिट पोल में आरजेडी और कांग्रेस के गठबंधन को भारी जीत दे दी थी। हालांकि जब रिजल्ट आया तो सब कुछ उलट गया। बीजेपी और जेडीयू की गठबंधन ने राज्य में तीसरी बार सरकार बनाई।


हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी एग्जिट पोल पूरी तरह से गलत साबित हो गए थे। ज्यादातर एग्जिट पोल में राज्य में बीजेपी को 70 से ज्यादा सीटें मिलने का दावा किया गया था। लेकिन बीजेपी महज 40 सीटों पर सिमट कर रह गई और पूर्ण बहुमत के आंकड़े को भी पार नहीं कर सकी। हालांकि बाद में बीजेपी ने जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली।

एग्जिट पोल की शुरुआत

दूरदर्शन ने सबसे पहले 1996 में एग्जिट पोल शुरू किया था। जब मतदाता अपना वोट डालकर निकल रहे थे। तब उनसे पूछा गया कि उन्होंने किसे वोट दिया। इस आधार पर किए गए सर्वे से जो व्यापक नतीजे निकाल के सामने आए उन्हें ही एग्जिट पोल का नाम दिया गया। साल 1998 में चुनाव आयोग ने ओपिनियन और एग्जिट पोल पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बाद में चुनाव आयोग के फैसलो को रद्द कर दिया। 2009 में फिर एग्जिट पोल पर प्रतिबंध करने की मांग उठी। फिर कानून में संशोधन किया गया, जिसके अनुसार चुनावी प्रक्रिया के दौरान जब तक अंतिम वोट नहीं पड़ जाता, एग्जिट पोल नहीं दिखा सकते।

क्या कभी किसी सर्वे वालों से मिले आप ❓

एग्जिट पोल को मतदाताओं के जवाब के आधार पर तैयार किया जाता है। मतदाता जब अपना वोट डालने के बाद पोलिंग बूथ से बाहर निकलता है तो उससे न्यूज चैनल और सर्वे एजेंसियां वोटिंग को लेकर सवाल करती हैं। मतदाताओं से पूछा जाता है कि उन्होंने किस पार्टी को अपना वोट दिया है। मतदाताओं के जवाबों को सर्वे एजेंसियां इकट्ठा करती हैं और उसके बाद एग्जिट पोल का प्रसारण किया जाता है। हजारों मतदाताओं से सवाल पूछकर आंकड़े जुटाए जाते हैं और एनालिसिस करके वोट प्रतिशत और सीटों का अनुमान लगाया जाता है।







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