HARYANA_DGP_MANOJ_YADAV ; डीजीपी मनोज यादव को सेवा विस्तार के पक्ष में केंद्र की मोदी सरकार।

 भाजपा शासित हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव को सेवा विस्तार के पक्ष में केंद्र की मोदी सरकार।  

  सरकार के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे गृह मंत्री अनिल विज से भाजपा आलाकमान नाराज।  

    डीजीपी मनोज यादव व अनिल विज की फाइल फोटो।

Latest News: सब्सक्राइब करें। www.6amnewstimes.com 03:03:2021 रविन्द्र_यादव लखनऊ। 9415461079 

 हरियाणा  के गृह मंत्री अनिल विज डीजीपी मनोज यादव को हटाने की जिद पर अड़े हैंं जबकि सीएम डीजीपी के पक्ष में है। विज इसको लेेेेकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात कर चुके हैं

 हरियाणा के गृह, स्वास्थ्य एवं शहरी निकाय मंत्री अनिल विज लगातार अपनी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।  ताजा मामला डीजीपी मनोज यादव को पद से हटाने का है, जिसे लेकर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व खासा नाराज है। गृह मंत्री अनिल विज चाहते हैं कि दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद डीजीपी मनोज यादव को उनके पद से हटाकर किसी नए आइपीएस अधिकारी को इस पद पर काबिज किया जाए, जबकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल दो टूक कह चुके हैं कि डीजीपी को केंद्र से मांगकर लाया गया और उनके सेवा विस्तार की जानकारी भी केंद्र को दी जा चुकी है। ऐसे में मनोज यादव डीजीपी के पद पर बरकरार रहेंगे।

डीजीपी मनोज यादव को उनके पद से हटाने का विवाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच चुका है। गृह सचिव राजीव अरोड़ा को नए डीजीपी के लिए सात आइपीएस अधिकारियों का पैनल तैयार करने संबंधी लिखे पत्र के तुरंत बाद गृह मंत्री अनिल विज ने दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी। इसके बाद चंडीगढ़ पहुंचे भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े के साथ विज की मंत्रणा हुई। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस बात से हैरान है कि आखिर अफसरशाही से अनिल विज का ही टकराव क्यों होता है, जबकि सरकार चलाने के लिए सबको साथ लेकर चलना जरूरी है।

अनिल विज अहंकार के लिए अधिकारियों से पहले भी कर चुके हैं टकराव। 

सीआइडी प्रमुख रह चुके शत्रुजीत कपूर को हटाने का मामला हो या फिर अनिल कुमार राव को बदलने की बात, सीएमओ में तैनात रहे आइएएस अधिकारी डा. राकेश गुप्ता से विवाद हो या फिर सीएम के तत्कालीन प्रधान सचिव राजेश खुल्लर से टकराव, सीएम के मौजूदा प्रधान सचिव वी उमा शंकर से खटपट हो या फिर एडीजीपी एएस चावल को पद से हटाने का मामला, आबकारी एवं कराधान आयुक्त शेखर विद्यार्थी के खिलाफ कार्रवाई हो या फिर आइपीएस अधिकारी संगीता कालिया व प्रतीक्षा गोदारा के विरुद्ध कार्रवाई की सिफारिश, इन सब मामलों में अनिल विज ने सरकार के सामने मुश्किलें ही खड़ी की हैं।

 उपमुख्यमंत्री चौटाला से भी मनमुटाव जग जाहिर है। 

हरियाणा में भाजपा के साथ जजपा सरकार में साझीदार है, लेकिन अनिल विज की डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से कभी नहीं बनी। यह अलग बात है कि बाद में दोनों एक दूसरे का सम्मान करने तथा आपस में मित्रता होने की बात कहते सुने गए, लेकिन भाजपा नेतृत्व व सरकार को लगता है कि कई ऐसे मौके आते हैं, जब सरकार को स्टेट फारवर्ड फैसले लेने के बजाय कुछ चीजों को जानबूझकर भी अनदेखा करना पड़ता है, मगर विज अपने स्टाइल को नहीं छोड़ पाते, जिससे सरकार के सामने असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है, जिसका राजनीतिक गलियारों व प्रदेश की जनता में गलत संदेश जाता है।

सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई। तब भी इस तरह की बातें सामने आई कि भाजपा का साझीदार होने के बावजूद जजपा को अस्थिर करने की कोशिशें की जा रही हैं। इसके बाद भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े को दुष्यंत चौटाला से बात करनी पड़ी। यही स्थिति अब डीजीपी मनोज यादव को हटाने के मामले में हैं।

परिस्थितियों को संभालने माहिर मनोहर

सूत्रों के अनुसार विनोद तावड़े ने अनिल विज को कह दिया कि भले ही आप बढ़िया और ईमानदार इंसान हैं। लेकिन सरकार चलाने के लिए चीजों को नाक का सवाल बनाना किसी सूरत में उचित नहीं होता।

विज बोले, पश्चिम बंगाल के चुनाव के मुद्दे पर बात हुई। 

जब अनिल विज से पार्टी प्रभारी के साथ हुई बातचीत के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि पश्चिम बंगाल के चुनाव को लेकर बातचीत हुई है। इस विषय पर कई नेताओं से बातचीत हो चुकी है। डीजीपी विवाद के बारे में विज ने बताया कि अभी उन्हें गृह सचिव के जवाब का इंतजार है, उसके बाद ही इस प्रकरण में कुछ कह पाएंगे। 

 मुख्यमंत्री मनोहर लाल हालांकि इस तरह की परिस्थितियों को संभालने में अब काफी हद तक माहिर हो चुके हैं, लेकिन वे किसी तरह के दबाव में आने के बजाय वही करते हैं, जिसमें केंद्रीय नेतृत्व का इशारा हो और गठबंधन की सरकार के साथ-साथ जनता के फायदे में रहे।



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