गुरुवार, 21 जनवरी 2021

RERA-NCLT-&-SIT ; लखनऊ में 13 हजार बिल्डरों के शिकार तो प्रदेश में कितने ?

 लखनऊ में 13 हजार खरीदार बिल्डरों के शिकार तो प्रदेश में कितने ओमेक्स और अंसल एपीआई ठगी के उस्ताद खरीदारों को मिलती है सिर्फ तारीख पे तारीख ? 

  सब्सक्राइब करें। www.6amnewstimes.com Ravindra Yadav lucknow 21:01:2021

छोटे बिल्डरों पर पड़ती है रेरा के कायदे-कानून की मार।  बड़े - बड़े बिल्डर संरक्षण में करते हैं खरिदारों का शिकार। 

Real Estate Regulatory Authority। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के करीब 13 हजार खरीदारों से छह बिल्डरों ने लगभग 2500 करोड़ रुपए की ठगी की है। एफआईआर के बावजूद इन बिल्डरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। रेरा भी आदेश के बाद शांत बैठ गया है। 

लखनऊ में बिल्डरों ने लुभावने विज्ञापन देकर लोगों के साथ ठगी की। इसका सिलसिला 2007 से शुरू हुआ जो 2020 तक बेधड़क चलता रहा। आवासीय योजनाओं के नाम पर बिल्डरों ने लोगों को ठगने का काम बिना किसी रोक टोक के किया। 500 से लेकर 800 करोड़ रुपए तक केवल एक-एक बिल्डर ने ठगी की है। 

यूपी रेरा व एनसीएलटी की ओर से कराई गई फॉरेंसिक ऑडिट में बड़ी ठगी की जानकारी हुई है। केवल लखनऊ के बड़े बिल्डरों ने ही 2500 करोड़ रुपए की ठगी की है। 

कुछ बिल्डरों के खिलाफ एसआईटी जांच भी कराने की सिफारिश की गई है। - राजीव कुमार, चेयरमैन, रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी। 


ओमेक्स सिटी लिमिटेड के महाप्रबंधक गोयल पर दर्ज हैं ठगी सैकड़ों मुकदमे। 

ओमेक्स सिटी लिमिटेड के महाप्रबंधक जनक गोयल, जेआरएसप्रो प्राइवेट लिमिटेड के महाप्रबंधक किशोर गोयल, पर दर्ज हैं ठगी सैकड़ों मुकदमे। 

बैंक में बंधक जमीन ठेकेदार को बेचकर करोड़ों रुपये हड़पने के मामले में ओमैक्स सिटी के महाप्रबंधक समेत चार लोगों के खिलाफ आशियाना थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।

सबसे बड़ी ठगी अंसल एपीआई ने की। 

  अंसल एपीआई बिल्डर के खिलाफ 263 आरसी जारी की पर कुछ न हुआ। 

लखनऊ में लोगों को सबसे ज्यादा अंसल एपीआई बिल्डर ने ठगा है। जमीन न होने के बावजूद बड़े पैमाने पर बिल्डर ने लोगों को प्लॉट व मकान बेच दिए। अकेले इस योजना में ही 5000 से ज्यादा लोग अपने मकान व प्लॉट के लिए भटक रहे हैं। इस बिल्डर के अकेले ही करीब 800 करोड रुपए तक ठगने की बात सामने आई है। बिल्डर के खिलाफ यूपी रेरा में कुल 2546 लोगों ने लिखित शिकायत दर्ज कराई। रेरा ने अंसल एपीआई बिल्डर के खिलाफ 263 आरसी जारी की पर कुछ न हुआ। रेरा ने इसमें से 1784 मामलों में आदेश पारित किया। 830 खरीदारों की रकम वापस करने तथा 451 को उनके मकान व प्लॉट का कब्जा देने का आदेश किया। लेकिन बिल्डर ने आज तक न लोगों का पैसा वापस किया और न ही उन्हें मकान दिए। 

रोहतास बिल्डर ने ठगे 500 करोड़। बिल्डर के खिलाफ 400 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हैं  बिल्डर बैंकों के भी 1.05 अरब रुपए लेकर फरार। 

रोहतास बिल्डर ने बैंकों को भी चूना लगाया है। एनसीएलटी की रिपोर्ट से पता चला है कि उसने बैंकों से एक अरब 5 करोड़ रुपए लोन लिया था। जिसे चुकाया नहीं। बैंक भी बिल्डर के खिलाफ एनसीएलटी पहुंचे हैं।। 

रोहतास बिल्डर ने सुल्तानपुर रोड तथा रायबरेली रोड पर बिना जमीन के ही योजनाएं लांच कर दीं। इसके जरिए उसने 400 करोड़ रुपए बटोर लिए। बाद में कुछ जमीन खरीदी लेकिन इन्हें दूसरी कंपनियों को ट्रांसफर कर दिया। इस बिल्डर ने 2000 लोगों से 400 करोड़ से अधिक रुपए बटोरे। जबकि 100 करोड़ से ज्यादा उसने बैंकों का भी चूना लगाया है। बिल्डर के खिलाफ 400 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हैं। 

शाइन सिटी बिल्डर ने 300 करोड़ ठगे।

साइंस सिटी ने प्रदेश भर में योजनाएं लांच कर लोगों को ठगा। लखनऊ में उसकी केवल 2 परियोजनाएं ही पंजीकृत हुई थीं। बाकी बिना पंजीकरण के ही अवैध तरीके से लांच की। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी की जांच में भी बड़ी ठगी का खुलासा हुआ था। बिल्डर के खिलाफ एसआईटी जांच कराने की सिफारिश की थी। बिल्डर के खिलाफ लखनऊ के अलावा कई शहरों में एफआईआर दर्ज हुई हैं। बड़े अधिकारी व डायरेक्टर्स फरार हैं।

आर संस बिल्डर भी जिम्मेदार। 

राजधानी के आर संस बिल्डर्स ने भी बड़े पैमाने पर ठगी की है। बिल्डर ने देवा रोड, फैजाबाद रोड, सुल्तानपुर रोड सहित कई योजनाओं को दिखाकर लोगों से अरबों रुपए बटोरे और इसके बाद फरार हो गया। एफआईआर के बाद इसके भी कुछ साथी गिरफ्तार हुए लेकिन किसी भी आंवटी को आज तक एक रुपए भी वापस नहीं मिला है। 

सहारा बिल्डर ने भी की कई सौ करोड़ की ठगी। 

सहारा ने भी मकान के नाम पर लोगों से करोड़ों रुपए ठगे हैं। सहारा बिल्डर के खिलाफ कुल 31 मामलों में रेरा ने आरसी जारी की है। यह आरसी सहारा सिटी होम्स में पैसा लेने के बावजूद लोगों को मकान न देने के मामले में जारी हुई। सहारा के खिलाफ यूपी रेरा में कुल 161 शिकायतें दर्ज हुई थी। इसमें से रेरा ने 157 शिकायतों का निस्तारण किया है। सहारा ने भी न तो लोगों को पैसा वापस किया और न ही मकान दिया।

कंछल ग्रुप: टाउनशिप का लाइसेंस तक नहीं लिया। 

कंछल ग्रुप ने भी बड़े पैमाने पर ठगी की। रायबरेली रोड सहित कई जगह योजनाएं लांच कर लोगों से पैसा बटोर लिया। इसने तो टाउनशिप का लाइसेंस तक नहीं लिया। एलडीए से योजनाओं के नक्शे व लाइसेंस के बिना योजनाएं लाच कर लोगों से करोड़ों बटोरा। इस बिल्डर के खिलाफ भी कई एफआईआर दर्ज हैं। 

रेरा ने बिल्डरों के खिलाफ अपने स्तर से कार्रवाई की है। जो खरीदारों का पैसा नहीं वापस कर रहे हैं उनके खिलाफ आरसी भी जारी हुई है। आरसी की रिकवरी के लिए जिलाधिकारियों को लगातार लिखा जा रहा है।

 कुछ बिल्डरों के खिलाफ एसआईटी जांच भी कराने की सिफारिश की गई है। - राजीव कुमार, चेयरमैन, रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी

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