Prayagraj's health department ❓ जांच का खेल ❓ CMO की भूमिका पे,


पूर्व सरकारों में स्थापित स्वास्थ्य माफिया फिर उठा रहे है फन। 

जांच का खेल ❓ CMO की भूमिका पे उठेंगे सवाल। घटना के संदिग्ध कर्मचारी / अधिकारी बेखौफ कर रहे ड्यूटी।

6AM NEWS TIMES,  सब्सक्राइब करें। www.6amnewstimes.com  20: 08 :2021, रविन्द्र यादव लखनऊ 9415461079, 


प्रयागराज : भरपूर सरकारी सप्लाई के बावजूद वैश्विक महामारी का दौर हो या डेंगू मलेरिया का प्रकोप जरूरतमंदों को एड़ी चोटी का जोर लगाने के बाद भी नहीं मिलती है पूरी दवाएं।

लाखों रुपये की सरकारी दवा बर्बादी के मामले में लगता है आला अधिकारी ही दोषियों को बचाने के सभी हथकंडे अपनाने लगे हैं। तेलियरगंज स्थित सीएमएसडी में जहां गड्ढा खोद कर दवाएं पाटी गईं उसे अंजाम देने वाले कर्मचारी अब भी बेखौफ से वहीं ड्यूटी कर रहे हैं।

दवाएं दफनाने का मामला जग जाहिर होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारी पूरे मामले को दबाने का प्रयास कर रहे हैं । नियमानुसार किसी मामले की जांच शुरू होने पर वहां के संदिग्ध कर्मचारियों और अधिकारियों पर प्राथमिक कार्रवाई करते हुए सम्बन्धित स्थान से हटा देना चाहिए, ताकि वे साक्ष्यों से छेड़छाड़ न कर सके लेकिन, दवा बर्बादी के मामले में ऐसा अब तक नहीं हुआ। जबकि सहायक निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं डॉ मोहन जी श्रीवास्तव ने प्रारंभिक जांच कराई तो जांच अधिकारियों को वहां आठ बाई आठ फीट का गड्ढा खोदे जाने के साक्ष्य मिले थे। यही रिपोर्ट उन्होंने स्वास्थ्य महानिदेशक को भेज दी है। स्थानीय स्तर पर सीएमओ को ठोस जांच व कार्रवाई के लिए कहा है।

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ नानक सरन ने कहा कि सहायक निदेशक ने मौखिक रूप से कहा है। लिखित में कुछ नहीं आया। फिर भी जांच करा रहे हैं।


[ योगी के माफिया मुक्त यूपी के प्रयासों को विफल करता स्वास्थ्य विभाग। 

उत्तर प्रदेश से भ्रष्टाचार और माफिया राज को जड़ से उखाड़ फेंकने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों को विफल करने मे लगा है प्रयागराज का स्वास्थ्य विभाग। संदिग्ध कर्मचारी / अधिकारी बेखौफ कर रहे ड्यूटी। ] 

आला अफसर कब लेगे मामला संज्ञान में ।

दवाएं कोविड काल में जरूरतमंदों को नहीं बांटी गईं और बाद में उसे स्टोर में ओवरलोड मानते हुए गड्ढा खोदकर उसमें पाट दिया गया। इस बर्बादी की स्वास्थ्य विभाग में तो लीपापोती चल रही है लेकिन प्रशासन के आला अधिकारी शासन को जवाब देने के लिए अपने स्तर से प्रशासनिक जांच करा सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों का कहना है कि आला अफसरान जल्द ही मामला संज्ञान में लेने की तैयारी कर रहे हैं।

[ स्वास्थ्य माफियाओं के सामने सीएमओ लाचार क्युं। ] ❓

सीएमओ ने मान कर कि कर्मचारी वहां से नहीं हटाए गए हैं। खूद को खड़ा कर दिया कठघरे में।

सप्ताह भर बीतने के बाद भी कार्रवाई का एक भी कदम आगे न बढ़ पाने से स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर उठने लगे हैं सवाल

हालांकि दवा बर्बादी से जुड़े अधिकारी ने पूरा जोर लगा रखा है कि बिना जांच के ही मामले का पटाक्षेप हो जाए लेकिन, स्वास्थ्य विभाग में ही हर जुबां पर आए इस भ्रष्टाचार का मामला दबाना अब आसान भी नहीं है।





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