यूपी पंचायत चुनाव 2021: जानिए पिछले पंचायत चुनाव में किसका पलड़ा रहा भारी, क्या कहते हैं आंकड़े।
6 एएम न्यूज़ टाइम्स लखनऊ, Nov 24 2020. 08:58 AM
सांकेतिक तस्वीर
यूपी में पंचायत चुनाव की तारीख का ऐलान भले ही अभी नहीं किया गया हो लेकिन प्रदेश का शायद की कोई ऐसा गांव नहीं होगा, जहां इस चुनाव की चर्चा न हो। कोरोना की वजह से अप्रैल में पंचायत चुनाव के होने की चर्चा है। गांव के चौक-चौबारे आजकल चुनाव में ताल ठोकने को बेकरार युवाओं के पोस्टर से पटे पड़े हैं। सबसे ज्यादा पोस्टर जिला पंचायत सदस्य और प्रधान पद के भावी उम्मीदवारों के लगे हैं। इनमें से 90 फीसद से ज्यादा युवा हैं। जी हां 90 फीसद से ज्यादा। अगर 2015 के पंचायत चुनावों की बात करें तो गांव की राजनीति में युवाओं का दबदबा रहा। बुजुर्गों को पब्लिक ने दरकिनार कर दिया।
निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2015 में सबसे ज्यादा युवा ही चुने गए। जिला पंचायत सदस्य हो या बीडीसी या फिर गांव का प्रधान, हर पद पर युवा सोच बुजुर्गों पर भारी पड़ी। आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के जिला पंचायत अध्यक्ष बनने वाले लोगों की सबसे अधिक संख्या 21 से 35 साल के उम्मीदवारों की रही। यह कुल विजेताओं का 55.41 फीसद था। कुल 40.54% पुरुष और 59.46% महिलाओं ने जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी संभाली। वहीं 36 से 60 साल तक के लोग भी चुने गए, जिनका प्रतिशत 41.89 था और 60 साल के ऊपर के जिला पंचायत अध्यक्षों की बात करें तो उनका प्रतिशत महज 2.7 था। अगर इन अध्यक्षों की चल संपत्ति की बात करें तो 45.95 फीसद की दौलत 10 लाख से अधिक थी। पांच से 10 लाख के बीच वाले 12.16 फीसद थे तो पांच लाख तक की चल संपत्ति वाले 36.49 फीसद। 5.41 फीसद के आंकड़े उपलब्ध नहीं थे।
शिक्षा की बात करें तो
जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए ज्यादातर उम्मीदवार ग्रेजुएट थे। इनका प्रतिशत 29.73 फीसद था। पोस्ट ग्रेजुएट 24.32 फीसद, इंटरमीडिएट 10.81 फीसद, हाई स्कूल 8.11 फीसद, जूनियर हाईस्कूल 9.46 फीसद और प्राइमरी पास 12.16 फीसद थे। निरक्षर और पीएचडी की भागीदारी बराबरी पर रही। दोनों 2.7-2.7 फीसद रहे।
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