विकास दुबे की गद्दी पर थी दो गुर्गों की नजर , हड़पना चाहते थे करोड़ों का साम्राज्य। डॉन की गद्दी को लेकर विकास और अमर दुबे का हुआ था झगड़।
पुलिस ने इस बात का जिक्र अपनी चार्जशीट में भी किया है । हालांकि पुलिस ने दोनों गुगों को मुठभेड़ में मार गिराया है । पुलिस सूत्रों के अनुसार बिकरू कांड के बाद विकास , अमर दुबे , प्रभात मिश्रा सहित अपने अन्य गुर्गों के साथ बिकरू से दिल्ली भाग गया था। दिल्ली से वह टैक्सी के जरिए फरीदाबाद पहुंचा। जहां उसने अपने साथियों संग रिश्तेदार अंकुर के यहां शरण ले ली थी।
वहां देर रात अमर का विकास दुबे की गददी को लेकर विवाद हुआ था । विकास के डाटने पर अमर उसे वहीं पर छोड़कर वापस कानपुर आने के लिए निकल पड़ा था । बताया जाता है कि किसी खास की सूचना के आधार पर वापसी के वक्त पुलिस ने अमर को हमीरपुर में मार गिराया था । इस बात का खुलासा तब हुआ जब फरीदाबाद में पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने रिश्तेदार अंकुर को गिरफ्तार किया । अंकुर से की गई पूछताछ को भी पुलिस ने चार्जशीट का हिस्सा बनाया है ।
वापसी के वक्त पुलिस ने अमर को हमीरपुर में मार गिराया था । इस बात का खुलासा तब हुआ जब फरीदाबाद में पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने रिश्तेदार अंकुर को गिरफ्तार किया । अंकुर से की गई पूछताछ को भी पुलिस ने चार्जशीट का हिस्सा बनाया है ।
अमर दुबे इस बात को लेकर काफी रोष में था की मेरी पत्नी के जेल जाने की नौबत आ गई , और गद्दी प्रभात को विकास एनकाउंटर में मारे गए प्रभात के अंदर आपराधिक गतिविधियां और तेज दिमाग देखते हुए अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहता था । यहीं नहीं वह विकास की सारी बातों को मानता था लेकिन ये बात अमर को मंजूर नहीं थी । फरीदाबाद में अमर ने विकास से कहा था कि हमसे इतना बड़ा कांड करवा दिया । मेरी अभी नई शादी हुई है , पत्नी को भी जेल जाने की नौबत आ गई । इसके बाद भी गद्दी प्रभात को दोगे । मैं अब यहां नहीं रुक सकता । इतना कहकर वह वापस कानपुर जाने के लिए निकल पड़ा था ।
...................... कानपुर एनकाउंटर :
वरिष्ठ संवाददाता , कानपुर
Last Modified: Sat, Oct 10 2020. 06:26 IST
विकास दुबे की सत्ता पर उसके दो गुर्गों की नजर थी। दोनों ही एनकाउंटर में मारे गए। दुबे की गद्दी को लेकर ही उसका फरीदाबाद में अमर दुबे से इसी को लेकर झगड़ा हुआ था। जिसके बाद अमर कानपुर आने के लिए निकल पड़ा था। हमीरपुर में पुलिस ने उसे घेरा और एनकाउंटर में मार गिराया। एक अन्य गुर्गे प्रभात मिश्रा की नजर भी विकास की गद्दी पर थी। वह भी मारा गया।
दो जुलाई को बिकरू में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद विकास दुबे अमर सहित कुछ और गुर्गों के साथ बिकरू से दिल्ली भागा था। दिल्ली से वह टैक्सी से फरीदाबाद पहुंचा और वहां पर रिश्तेदार अंकुर के यहां छुप कर रहा। उस दौरान अमर भी था। वहां विकास की गद्दी को लेकर दोनों के बीच झगड़ा हुआ। जिसके बाद अमर दुबे उसे वहीं पर छोड़कर वापस कानपुर आने के लिए निकल पड़ा। इस बात का खुलासा तब हुआ जब फरीदाबाद में पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने रिश्तेदार अंकुर को गिरफ्तार किया। अंकुर से की गई पूछताछ को भी पुलिस ने चार्जशीट का हिस्सा बनाया है।
फरीदाबाद में गुस्साए अमर ने विकास से कहा था कि हमसे इतना बड़ा कांड करवा दिया और अब अपनी गद्दी भी नहीं दोगे। उसने यह भी कहा था कि अभी नई शादी हुई थी। पत्नी के जेल जाने की नौबत आ गई। मैं अब यहां नहीं रुक सकता। इतना कहकर वह वापस कानपुर जाने के लिए निकल पड़ा था।
प्रभात को उत्तराधिकारी बनाना चाहता था विकास
प्रभात को विकास उत्तराधिकारी बनाना चाहता था। प्रभात के अंदर आपराधिक गुणों के अलावा दिमाग भी तेज था। वह हर स्थिति को अपराध के नजरीये से देखता था। कई बार उसके बताए गए सुझाव विकास आसानी से मान लेता था।