45 साल पहले चीन ने ऐसे ही धोखा दिया था दोनों देशों की सीमा पर इससे पहले 45 साल पहले गोली चली थी ।

भारत - चीन सीमा पर 45 साल बाद गोली चली : चीनी सेना का दावा- भारतीय सैनिकों ने एलएसी क्रॉस की , इसके बाद चीन की पेट्रोलिंग टीम पर फायरिंग भी की बीजिंग। 


                                    फाइल फोटो

 बताया जाता है कि 29-30 अगस्त की रात चीनी सैनिकों ने पैगॉन्ग सो झील के दक्षिणी हिस्से में मौजूद एक अहम चोटी पर कब्जे की साजिश रची थी , लेकिन भारतीय सेना की स्पेशल ऑपरेशन बटालियन ने न सिर्फ उन्हें खदेड़ दिया , बल्कि यह पूरी चोटी अपने कब्जे में ले ली । भारतीय सेना के सूत्रों ने सरहद पर फायरिंग की बात को कन्फर्म किया है , हालांकि सेना की ओर से अब तक कोई बयान नहीं आया है वहीं चीन सेना के वेस्टर्न कमांड के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा है कि ये घटना 7 सितंबर को पैंगॉन्ग झील के दक्षिण में शेनपाओ इलाके की है लद्दाख में पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी किनारे पर भारत और चीन के बीच फायरिंग की खबर है । चीनी सेना के वेस्टर्न थियेटर कमांड के प्रवक्ता के मुताबिक भारतीय सैनिकों ने 7 सितंबर को पैंगॉन्ग त्सो के दक्षिणी किनारे पर एलएसी पार कर घुसपैठ की कोशिश की है । चीन का ये भी दावा है कि भारतीय सेना ने लाइन ऑफ कंट्रोल ( एलएसी ) पार करने के बाद हवाई फायर भी किए । चीनी सेना के बयान के मुताबिक भारतीय सेना ने शेनपाओ इलाके में एलएसी पार की और जब चीनी सेना की पेट्रोलिंग पार्टी भारतीय जवानों से बातचीत करने के लिए आगे बढ़ी तो उन्होंने जवाब में वॉर्निंग शॉट किए यानी हवा में गोली चलाई । हालांकि , भारतीय सेना ने अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है । लेकिन सूत्रों के मुताबिक दोनों सेनाओं के बीच सोमवार को फायरिंग हुई

इससे पहले , 1 सितंबर को भारत में चीनी दूतावास ने बयान जारी कर आरोप लगाया था कि भारतीय सैनिकों ने पेंगॉन्ग सो झील के दक्षिणी तट पर फिर से एलएसी क्रॉस की । चीनी सेना के वेस्टर्न थियेटर कमांड के प्रवक्ता कर्नल झांग शुइली ने यह भी कहा है कि भारत अपने सैनिकों को नियंत्रित करे । उनके मुताबिक जब चीन के ऑर्डर गार्ड्स ने भारतीय सैनिकों को रोका तो उन्होंने गोली चलाई । जिसके बाद पीएलए के सैनिकों को स्थिति को संभालना पड़ा । न्यूज एजेंसी एएनआई ने भी सूत्रों के हवाले से एलएसी पर फायरिंग होने की बात कही है । 

45 साल पहले चीन ने ऐसे ही धोखा दिया था दोनों देशों की सीमा पर इससे पहले 45 साल पहले गोली चली थी । 

20 अक्टूबर 1975 को अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में चीन ने असम राइफल की पैट्रोलिंग पार्टी पर धोखे से एम्बुश लगाकर हमला किया था ।

 इसमें भारत के 4 जवान शहीद हुए थे । वहीं इसी साल जून में गलवान में दोनों देशों के बीच हुई झड़प में हमारे 20 सैनिकों की शहादत हुई थी । हालांकि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के दौरान भी चीनी और भारतीय जवानों की ओर से गोलियां नहीं चलाई गई थीं । भारतीय सेना ने पैंगॉन्ग सो झील इलाके में अहम चोटी पर कब्जा किया पिछले दो हफ्तों में भारतीय और चीनी सेना दो बार आमने - सामने आई हैं । 31 अगस्त की दोपहर भी चीन सेना ने भारतीय इलाके पर कब्जे की कोशिश की थी जिसे भारतीय सेना ने रोका था । जबकि इससे पहले 29-30 अगस्त की रात चीन की साजिशों को नाकाम करते हुए भारतीय सेना ने पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी हिस्से में मौजूद अहम चोटियों , ब्लेक टॉप और हेलमेट टॉप पर कब्जा कर लिया था । यह रणनीतिक रूप से काफी अहम मानी जाती है । यहां से चीनी सैनिक कुछ मीटर की दूरी पर ही हैं । रविवार और सोमवार की रात चीनी सैनिकों ने इस चोटी पर कब्जे की साजिश रची थी । लेकिन , भारतीय सेना की स्पेशल ऑपरेशन बटालियन ने न सिर्फ उन्हें खदेड़ दिया , बल्कि यह पूरी चोटी अपने कब्जे में ले ली । अपनी सीमाओं की सुरक्षा करना जानते हैं : रक्षा मंत्रालय ये घटना तब हुई है जब दो दिन पहले दोनों देर्शो के रक्षा मंत्रियों के बीच मॉस्को में मुलाकात हुई थी । चीन की घुसपैठ को लेकर रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि चीन ने फिर यथास्थिति का उल्लंघन किया है । 29 अगस्त की रात चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख के भारतीय इलाके में घुसपैठ की कोशिश की थी । भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों की इस कोशिश को नाकाम कर दिया । हमारी सेना बातचीत के जरिए शांति कायम करने के लिए प्रतिबद्ध है , लेकिन हम अपनी सीमाओं की सुरक्षा करना जानते हैं ।

चीन चीनी सेना के वेस्टर्न थिएटर कमांड ने आरोप लगाया था कि दोनों देशों के बीच जो सहमति बनी थी , भारत उसका पालन नहीं कर रहा है। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा था कि भारत की ओर से तनाव बढ़ने की आशंका है , क्योंकि उसकी तरफ से भड़काने वाली कार्रवाई हो रही है । भारतीय सैनिक लगातार एलएसी क्रॉस कर रहे हैं । विवाद का कारण रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एसएल नरसिम्हन बताते हैं कि भारत और चीन की सीमा से जुड़े कई अनसुलझे सवाल हैं । लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल 1962 के युद्ध के बाद अस्तित्व में आई । लेकिन जमीन पर अब तक उसकी हदबंदी नहीं हुई है । यही वजह है कि दोनों देशों की सरहद को लेकर अपनी - अपनी धारणाएं हैं । इसी के चलते ऐसे इलाके पनपे हैं , जिन पर दोनों देश अपना दावा करते हैं । नतीजतन कई विवादित और संवदेनशील इलाके बन गए हैं । जब भी दोनों देशों की पैट्रोलिंग पार्टी इन विवादित इलाके में जाती है , तो झड़प हो जाती है ।

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